सवर्ण आरक्षण बिल: केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत बोले- 'हम गरीबी हटाने के सिर्फ वादे नहीं इरादे लेकर आए हैं'

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सवर्ण आरक्षण बिल पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है जब हम सब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के नागरिक के लिए आरक्षण की व्यवस्था किये जाने पर विचार कर रहे हैं.

सवर्ण आरक्षण बिल: केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत बोले- 'हम गरीबी हटाने के सिर्फ वादे नहीं इरादे लेकर आए हैं'

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत (फाइल फोटो).

खास बातें

  • 'हम गरीबी हटाने के सिर्फ वादे नहीं इरादे लेकर आए हैं'
  • सवर्ण आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान थावरचंद गहलोत ने कही यह बात
  • लोकसभा में मंगलवार को पास हुआ सवर्ण आरक्षण बिल
नई दिल्ली:

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सवर्ण आरक्षण बिल पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है जब हम सब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के नागरिक के लिए आरक्षण की व्यवस्था किये जाने पर विचार कर रहे हैं.  ऐसे सवर्ण हैं जो मौजूदा आरक्षण का लाभ नहीं प्राप्त कर रहे हैं. हम इन लोगों की उन्नति के लिए संविधान में नए प्रावधान कर अनुच्छेद 15 और 16 में नए खंडों को सम्मिलित कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15(4) तथा 16(4) के अंतर्गत सरकारी पदों एवं सेवाओं में नियोजन और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में आरक्षण, वर्तमान में अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) जिन्हें अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के रूप में जाना जाता है, के लिए उपलब्ध है. वर्ष 1992 में तत्कालीन सरकार ने इन वर्गों के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान किया था, लेकिन माननीय उच्चतम न्यायालय ने संविधान में व्यवस्था ना होने के कारण इसे निरस्त कर दिया था.
 

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उनका मानना है कि समय-समय पर माननीय सदस्यों द्वारा एवं इन वर्गों के लिए आरक्षण की मांग की गई थी. इस संबंध में जो आयोग 2004 में बना था उसने 2010 में रिपोर्ट दी थी. लेकिन कार्यवाही आज हम संविधान में संशोधन करके कर रहे हैं. यह आरक्षण SC/ST/OBC के लिए वर्तमान 50 प्रतिशत के अतिरिक्त हैं. ​इस प्रावधान से भारत सरकार में सिविल पदों एवं सेवाओं और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में वरीयता आधार पर आरक्षण का लाभ मिलेगा. उनके मुताबिक, 2014-15 में इनके उत्थान के लिए (i) ईबीसी के लिए डॉ. आंबेडकर पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति-2014-15 में लागू की. जिसमें डॉ. आंबेडकर ब्याज सब्सिडी योजना ईबीसी और ओबीसी के लिए विदेश में अध्ययन करने के लिए-2014-15 में लागू की. वर्ष 2018-19 से, एनबीसीएफडीसी ने ओबीसी और डीएनटी के साथ कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए लक्ष्य समूह के रूप में ईबीसी को भी शामिल किया है.

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उन्होंने कहा कि वे व्यक्ति जो अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की योजनाओं के अंतर्गत कवर नहीं होते हैं और जिनके परिवार की सकल वार्षिक आय 8 लाख रुपए से कम है, की आरक्षण के लाभ के लिए ईडब्ल्यूएस के रूप में पहचान की जाए.  इस आय में सभी स्रोतों यथा वेतन, कृषि, कारोबार, व्यवसाय आदि से आय शामिल होगी. इसके साथ-साथ वे व्यक्ति जिनके परिवारों के पास निम्नलिखित परिसंपत्तियां हैं, उसके ईडब्ल्यूएस के रूप में पहचान करने से अपवर्जित किया जाए . जिसमें 5 एकड़ और इससे अधिक की कृषि भूमि, 1000 वर्ग फुट एवं इससे अधिक का रिहायशी फ्लैट, 100 गज एवं इससे अधिक का अधिसूचित नगरपालिकाओं में रिहायशी प्लॉट, 200 गज एवं इससे अधिक का अधिसूचित नगरपालिकाओं से भिन्न क्षेत्रों में रिहायशी प्लॉट. 

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थावरचंद गहलोत ने साथ ही कहा कि लोकसभा में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को अतिरिक्त 10% आरक्षण प्रदान करने संबंधी 124वें ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक पर सभी दलों के सांसदगण सदस्यों ने जो समर्थन दिया है, उसके लिए मैं उन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूं.

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