नए कृषि कानूनों के लेकर देशभर के किसान दिल्ली की सीमाओं पर इकट्ठा हो रहे हैं. और उन्हें व्यावहारिक तरीके से विभिन्न लोगों और समूहों द्वारा समर्थन मिल रहा है. झज्जर से 27 खाप पंचायतों का समूह भी आंदोलनकारियों के भरण-पोषण के लिए मुफ्त रसद प्रदान कर रहा है. हालांकि अधिकांश प्रदर्शनकारी आंदोलन के लिए अच्छी तरह से तैयार होकर आए हैं उनका कहना है कि उनके पास 6 महीने का राशन है लेकिन खाप पंचायतों की ये मदद शायद उनकी पुनःपूर्ति की आवश्यकता को पूरा करेगी.
झज्जर से आए ट्रकों में खाप समूह ने (27 खापों की तरफ से) विरोध कर रहे किसानों के लिए खाने के सामान की आपूर्ति हो रही है. वे कहते हैं ये उनकी तरफ से विरोध करने वाले उनके "भाइयों" के लिए सेवा है.
ऐसा ही एक समूह आज दिल्ली बॉर्डर की तरफ आटा लेकर जा रहा था, जब एनडीटीवी ने हरियाणा और दिल्ली के बीच टिकरी बॉर्डर पॉइंट से लगभग 6-7 किलोमीटर की दूरी पर इसे देखा. सड़क के एक किनारे पर, दिल्ली की ओर जाने वाला मार्ग खुला था, जबकि दूसरा पंजाब और हरियाणा के ट्रकों और ट्रैक्टरों द्वारा पूरी तरह से अवरुद्ध था. प्रदर्शनकारी किसान पिछले सात दिनों से इस सड़क पर डेरा डाले हुए हैं.
गेहूं के आटे से भरे ट्रक पर बैठे एक बुजुर्ग ने NDTV को बताया. "हम झज्जर से आएं हैं हैं. हम यहां अपने विरोध करने वाले भाइयों के समर्थन के लिए और मदद के लिए हैं. 24 घंटे हमारा दलाल खाप का भंडारा यहां चला हुआ है. इनकी मदद के लिए हम बॉर्डर पर जा रहे हैं. जितनी भी इनकी तन, मन, धन से मदद होगी हम करेंगे. और जब तक फैसला नहीं हो जाता है हम कंधे से "
एक और व्यक्ति ने बताया, "हम अहलावत खाप से आएं हैं यहां अपने किसानों भाईयों के लिए आटा, सब्जी, चावल, बिस्कुट सब किसान भाईयों के लिए देने आए हैं." उन्होंने कहा "हम अपने भाइयों के लिए भोजन और पानी की कमी नहीं होने देंगे."
इसी समूह से संबंधित एक युवा ने कहा कि वह पिछले आठ दिनों से इस कार्य को अंजाम दे रहा है. "मैं पंजाब से हूं. यह केवल किसानों के बारे में नहीं है. यह भारत की खाद्य सुरक्षा के बारे में है. अगर किसान गिरता है, तो पंजाब और हरियाणा का कुल अर्थशास्त्र गिरता है. हम ऐसा नहीं होने देना चाहते. हम आखिरी सांस तक कोशिश करेंगे, देखते हैं क्या हो सकता है " इस युवा ने आगे कहा.
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