
Rajasthan Political Crisis: कांग्रेस के जिन विधायकों पर सचिन पायलट से करीबी की बात कही जा रही थी उनमें से कुछ विधायकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि सरकार पूरी तरह सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि वे लोग अशोक गहलोत सरकार के साथ हैं और रहेंगे. हम 'कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वे तीन विधायक भी थे जो कल दिल्ली पहुंचे थे और सचिन पायलट के 'साथ' माने जा रहे थे. उनमें से एक विधायक रोहित बोहरा ने पहले NDTV को बताया था कि उनकी दिल्ली की यात्रा 'व्यक्तिगत' थी और यहीं पर उनकी मुलाकात अन्य दो विधायकों के साथ हुई, जो अपने-अपने काम से वहां थे. ये तीनों विधायक आज वापस जयपुर पहुंच गए हैं.
रोहित बोहरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'हम कांग्रेस पार्टी के साथ हैं. हमें कांग्रेस ने टिकट दिया था और हम पार्टी के सच्चे सिपाही हैं और पूरे जीवन रहेंगे. हम किसी और के साथ नहीं हैं हम कांग्रेस के साथ हैं. जो हमारा आलाकमान हमें कहेगा हम वही काम करेंगे इसके अलावा कुछ भी नहीं करेंगे.'
बता दें कि सचिन पायलट 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे. उन्हें उप मुख्यमंत्री का पद दिया गया. लेकिन यह राज्य कांग्रेस प्रमुख के पद का पुरस्कार था, राज्य में पार्टी के पुनर्निर्माण के लिए उनके काम को मान्यता दी गई थी, जिसने गहलोत को नाराज किया. सचिन पायलट के 6 साल तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को संभालने के बाद अब उन्हें हटाने की भी बातचीत चल रही है.
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सरकार बनने के बाद से श्री पायलट और मुख्यमंत्री के बीच मतभेद नियमित रूप से सामने आते रहे हैं. पिछले साल, लोक सभा चुनावों के बाद, गहलोत ने अपने बेटे की हार के लिए श्री पायलट को दोषी ठहराया. "पायलट को जिम्मेदारी लेनी चाहिए," मुख्यमंत्री ने कहा था.
200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास मजबूत 107 सीटें हैं और उसे 12 निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन प्राप्त है. इसके अलावा, अन्य दलों के पांच एमएलए - राष्ट्रीय लोक दल, सीपीएम और भारतीय ट्राइबल पार्टी गहलोत का समर्थन करते हैं.
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मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के 23 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी के पुराने संरक्षक और नए के बीच लंबे समय तक खींचतान के बाद कमलनाथ सरकार का पतन हो गया था.
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