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This Article is From Apr 12, 2016

लातूर पहुंचे पानी के टैंकर, लोग खुश और साथ ही शुरू हो गई क्रेडिट लेने की होड़

लातूर पहुंचे पानी के टैंकर, लोग खुश और साथ ही शुरू हो गई क्रेडिट लेने की होड़
लातूर पहुंची वॉटर ट्रेन
लातूर: लातूर में मंगलवार की सुबर पांच लाख लीटर पानी लेकर ट्रेन पहुंची तो लोगों के चेहरों पर रौनक आ गई। चारों ओर खुशी का माहौल बन गया। ये ट्रेन कई घंटों देरी से पहुंची और आरंभ की योजना से पानी पहुंचा।

राज्य की राजधानी मुंबई से 500 किलोमीटर दूर स्थित लातूर इन दिनों पानी की भारी किल्लत की समस्या से जूझ रहा है।
 

ट्रेन के लातूर पहुंचने के कुछ घंटे बाद बीजेपी के समर्थक ट्रेन के ऊपर पोस्टर लेकर चढ़ गए। पोस्टर के जरिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और रेलमंत्री सुरेश प्रभु का धन्यवाद दिया। स्थानीय कांग्रेस नेता और मेयर अख्तर शेक जिन्होंने ट्रेन को वहां पर रिसीव किया, ने कहा कि पानी के इंतजाम के लिए उन्हें भी क्रेडिट दिया जाना चाहिए क्योंकि म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन में उनका बहुमत है और वे भी लगातार लोगों तक पानी पहुंचाने के प्रयास में लगे रह।

बता दें कि 10 वैगन वाली यह खासतौर पर डिजाइन ट्रेन ने सांगली के मिरज से करीब 18 घंटों का सफर किया। मिरज से लातूर की दूरी केवल 300 किलोमीटर है और यह दूरी केवल 6 घंटों में तय की जा सकती थी।

लातूर के डीएम पांडुरंग पोले ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि यह ट्रायल रन था। स्पीड पर ध्यान नहीं दिया गया। इसी समय पर सुबह ही पहुंचना था।

ट्रेन का पानी पाइपलाइन के जरिए स्टेशन के पास बावड़ी में खाली होगा
अब ट्रेन का पानी पाइपलाइन के जरिए स्टेशन के पास बावड़ी में खाली किया जाएगा। फिर टैंकर्स के जरिये शहर तक पहुंचाया जाएगा। रेलवे और राज्य सरकार के आदेशों के बाद इस ट्रेन को चलाया गया था। मध्य रेलवे के प्रमुख प्रवक्ता नरेंद्र पाटिल ने कहा, 10 डिब्बों की इस पहली खेप में, प्रत्येक डिब्बे में 50 हजार लीटर की क्षमता है। इन डिब्बों में पानी सांगली जिले के मिराज रेलवे स्टेशन पर भरा गया था। जिला प्रशासन ने लातूर रेलवे स्टेशन के पास स्थित एक बड़े कुएं को अधिग्रहित किया है। ट्रेन से लाए गए पानी को इस कुंए में जमा करके रखा जाएगा और फिर यहां से इसकी आपूर्ति लातूर शहर में की जाएगी।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सूखे से प्रभावित मराठवाड़ा के गांवों से लोग शहरों की तरफ पलायन को मजबूर हो रहे हैं। मुंबई के घाटकोपर इलाके में ऐसे लगभग 500 खेतिहर मजदूर और किसान रह रहे हैं। नांदेड़ और लातूर से आए इन किसानों के पास गांव में न काम है, न पैसा, हालांकि शहर में भी इनके रहने के हालात बदतर ही हैं।


(इनपुट एजेंसियों से भी)

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