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This Article is From Jul 16, 2012

जीत के लिए जसवंत सिंह को है ’गुल खिलने’ की उम्मीद

नई दिल्ली: एनडीए ने उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर जसवंत सिंह के नाम का ऐलान कर दिया है। दिल्ली में एनडीए की बैठक के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जसवंत के नाम का ऐलान किया। इस बैठक में जेडीयू और शिवसेना समेत एनडीए के तमाम घटक दल शामिल हुए। आडवाणी ने कहा कि जसवंत की उम्मीदवारी का फ़ैसला एनडीए का सर्वसम्मत फैसला है।

इससे पहले राष्ट्रपति की उम्मीदवारी के सवाल पर जेडीयू और शिवसेना एनडीए से अलग जा यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को समर्थन देने का फैसला कर चुकी है।

अपने नाम के ऐलान के बाद जसवंत सिंह एनडीए के तमाम नेताओं का शुक्रिया अदा किया। एनडीटीवी ने जब उनसे ये पूछा कि जीत के लिए उनकी उम्मीद का आधार क्या है तो उन्होंने कहा कि इसका विश्लेषण अभी ठीक नहीं आगे देखिए कि क्या गुल खिलता है।

उप राष्ट्रपति के लिए लोकसभा और राज्यसभा के 790 सांसद वोट डालेंगे। जीत के लिए 396 वोट की जरूरत है। यूपीए का दावा है कि उसे क़रीब 500 सांसदों का समर्थन हासिल है जिसमें सपा बसपा और लेफ्ट जैसी गैर यूपीए पार्टियों के वोट भी शामिल हैं।

इधर, एनडीए तमाम जोड़ तोड़ के बाद भी 300 तक के आंकड़े पर ही पहुंच पा रही है। एनडीए की कोशिश यूपीए से नाराज़ चल रही तृणमूल नेता ममता बैनर्जी को साथ लेने की होगी। इसके अलावा एआईएडीएमके और बीजेडी जैसे दलों से भी समर्थन मांगेगी।

ग़ौरतलब है कि राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर पीए संगमा को इन्हीं दोनों दलों ने आगे किया था जिसे बीजेपी और अकाली दल समर्थन दे रहे हैं। एनडीए को इन दोनों दलों से समर्थन की उम्मीद तो है ही एनडीए की सहयोगी जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी की दलील है कि जसवंत सिंह के राजनीतिक अनुभव और क़द को देखते हुए अलग-अलग दलों के सांसद पार्टी लाइन से बाहर जाकर उनके पक्ष में वोट करेंगे।

हालांकि शरद यादव ने क्रॉस वोटिंग की संभावना से इनकार किया है। उनके मुताबिक़ संसद में कभी-कभी ही कोई बेईमानी करता है लेकिन इस चुनाव में तमाम सांसद पार्टी लाइन के तहत ही वोट करेंगे।

जसवंस सिंह के नाम पर मुहर लगाने से पहले जेडीयू नेता और एनडीए संयोजक शरद यादव को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की कोशिश की गई लेकिन शरद यादव ने मना कर दिया। एनडीटीवी से बातचीत में शरद यादव ने कहा कि जिस तरह से वह राजनीति में सक्रिय हैं ऐसे में उप राष्ट्रपति का पद उनकी प्रकृति के अनुकूल नहीं है।

एनडीए उम्मीदवार की जीत की गुंजाइश पर उनका कहना है कि हर लड़ाई जीत को ही ध्यान में रख कर नहीं लड़ी जाती है विपक्ष के तौर पर अपनी कोशिश जारी रखनी पड़ती है।

अपना उम्मीदवार उतारने के पहले एनडीए ने ममता बैनर्जी की तरफ भी देखा। लेकिन ममता ने जिस गोपाल कृष्ण गांधी का नाम आगे किया था उन्होंने चुनाव लड़ने की बात से इनकार कर दिया। ममता की तरफ से दूसरा नाम सुभाष चंद्र बोस की रिश्तेदार श्रीमति कृष्णा बोस का था जिसमें तृणमूल छोड़ किसी और दल ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

बीजेपी के भीतर नाम नज़मा हेपतुल्लाह का भी आया लेकिन वह 2007 में उप राष्ट्रपति का चुनाव लड़ हामिद अंसारी से हार चुकी हैं। इसलिए उनकी दावेदारी की बात आगे नहीं बढ़ सकी।

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