एनडीटीवी से बात करते वकील विक्रम चौहान
नई दिल्ली:
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक ही हफ्ते में दो दिन हुई हिंसा में मुख्य रूप से शामिल वकील विक्रम चौहान आदेश के वावजूद गुरुवार को पुलिस के सामने उपस्थित नहीं हुए।
अगर ऐसा व्यस्तता की वजह से था तो आपको बता दें कि गुरुवार को ही कुछ अन्य वकीलों ने किसी नायक की तरह उन्हें
माला पहनाई। उन्होंने एनडीटीवी से बात करने के लिए भी समय निकाल लिया।
चौहान ने कहा, 'वकील भी भारतीय नागरिक हैं, कोई भारत में कैसे किसी को राष्ट्र विरोधी और पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने की इजाजत दे सकता है?' उनका दावा है कि एक आंदोलन की शुरुआत हुई है जिसकी गूंज देशभर के वकीलों के बीच सुनाई दी है।
सोमवार को पत्रकारों और जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार के समर्थकों के साथ मारपीट करने वाले वकीलों के समूह की अगुवाई विक्रम चौहान ने ही की थी।
बुधवार को भी वकीलों के समूह द्वारा किए गए उत्पात के केंद्र में चौहान ही रहे। दोनों ही दिन दिल्ली पुलिस द्वारा वकीलों को छूट मिली रही जो 'कथित देशद्रोहियों' को पिटते हुए देखती रही। कोर्ट पहुंचे कन्हैया कुमार की भी पिटाई की गई।
तस्वीरों और वीडियो में स्पष्ट रूप से विक्रम चौहान और अन्य हिंसा में लिप्त दिख रहे हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इससे आरोप लग रहे हैं कि चौहान और उनकी भीड़ ने दोबारा हिंसा करने की हिम्मत इसलिए की क्योंकि वे जानते थे कि उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है।
चौहान ने एनडीटीवी को बताया, हमने केवल भारत विरोधी नारों का विरोध किया था। साथ ही उन्होंने बुधवार को कोर्ट में हुई हिंसा में शामिल होने से इनकार भी किया। गौरतलब है कि बुधवार को हिंसा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए पांच वरिष्ठ वकीलों को भेजा था, जिन पर भी पत्थर फेंके गए थे। चौहान ने कहा, हम लोगों ने उन्हें परेशान नहीं किया, पता नहीं किसने किया। वहां कुछ लोग वकीलों की वेशभूषा में थे जिनके बारे में हमने शिकायत भी की थी।'
अगर ऐसा व्यस्तता की वजह से था तो आपको बता दें कि गुरुवार को ही कुछ अन्य वकीलों ने किसी नायक की तरह उन्हें
माला पहनाई। उन्होंने एनडीटीवी से बात करने के लिए भी समय निकाल लिया।
चौहान ने कहा, 'वकील भी भारतीय नागरिक हैं, कोई भारत में कैसे किसी को राष्ट्र विरोधी और पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने की इजाजत दे सकता है?' उनका दावा है कि एक आंदोलन की शुरुआत हुई है जिसकी गूंज देशभर के वकीलों के बीच सुनाई दी है।
सोमवार को पत्रकारों और जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार के समर्थकों के साथ मारपीट करने वाले वकीलों के समूह की अगुवाई विक्रम चौहान ने ही की थी।
बुधवार को भी वकीलों के समूह द्वारा किए गए उत्पात के केंद्र में चौहान ही रहे। दोनों ही दिन दिल्ली पुलिस द्वारा वकीलों को छूट मिली रही जो 'कथित देशद्रोहियों' को पिटते हुए देखती रही। कोर्ट पहुंचे कन्हैया कुमार की भी पिटाई की गई।
तस्वीरों और वीडियो में स्पष्ट रूप से विक्रम चौहान और अन्य हिंसा में लिप्त दिख रहे हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इससे आरोप लग रहे हैं कि चौहान और उनकी भीड़ ने दोबारा हिंसा करने की हिम्मत इसलिए की क्योंकि वे जानते थे कि उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है।
चौहान ने एनडीटीवी को बताया, हमने केवल भारत विरोधी नारों का विरोध किया था। साथ ही उन्होंने बुधवार को कोर्ट में हुई हिंसा में शामिल होने से इनकार भी किया। गौरतलब है कि बुधवार को हिंसा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए पांच वरिष्ठ वकीलों को भेजा था, जिन पर भी पत्थर फेंके गए थे। चौहान ने कहा, हम लोगों ने उन्हें परेशान नहीं किया, पता नहीं किसने किया। वहां कुछ लोग वकीलों की वेशभूषा में थे जिनके बारे में हमने शिकायत भी की थी।'
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