Muzaffarnagar Kisan Mahapanchayat : मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत रविवार को शुरू होने के पहले ही सुबह 10 बजे ही जीआईसी मैदान (GIC Ground) पूरी तरह भर गया है. पंजाब, हरियाणा से लेकर दक्षिण भारत के किसान संगठनों के प्रतिनिधि यहां अपनी आवाज बुलंद करने पहुंचे. किसान नेताओं ने ऐलान किया कि वे यूपी, उत्तराखंड और अन्य विधानसभा चुनाव में बीजेपी का विरोध करेंगे. साथ ही यूपी में गोरखपुर, लखनऊ, बनारस, कानपुर समेत यूपी के सभी मंडलों में भी महापंचायत करने का फैसला हुआ है. किसान नेताओं ने 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान भी किया है. ट्रेनें और बसें भी रोकी जाएंगी.
कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के बीच इस महापंचायत पर सबकी नजरें थीं. इसे किसानों के मिशन यूपी (Mission UP) का आगाज करने का संकेत भी माना जा रहा है. नरेश टिकैत, राकेश टिकैत, मेधा पाटेकर, योगेंद्र यादव समेत कई बड़े नेता वहां मौजूद हैं. बारी-बारी से किसान नेताओं ने सभा को संबोधित किया.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (BKU Leader Rakesh Tikait) ने संकेत दिया है कि मुजफ्फरनगर के बाद यूपी के अन्य मंडलों औऱ जिलों में भी किसानों की इसी तरह महापंचायत हो सकती है, ताकि यूपी चुनाव के पहले किसानों को लामबंद किया जा सके.
मुज़फ़्फ़रनगर में किसान महापंचायत .. पूरी तरह भर चुका मुज़फ़्फ़रनगर GIC मैदान #kisanmahapanchayat @ndtv pic.twitter.com/B2xiS7EAtx
— Saurabh shukla (@Saurabh_Unmute) September 5, 2021
मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने काफी दिनों से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जुटाने के लिए मेहनत की है. किसान पिछले साल नवंबर से मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले. केंद्र इसके लिए राजी नहीं है. केंद्र और किसान प्रतिनिधियों के बीच लंबे समय से वार्ता भी नहीं हुई है.
मुज़फ़्फ़रनगर का GIC मैदान सुबह 9 बजे ही किसानों से भर गया है.. मुज़फ़्फ़रनगर की सड़कों पर सिर्फ़ किसान ही पैदल चलते नज़र आ रहे हैं #kisanmahapanchayat @ndtv pic.twitter.com/Jj7MOTQNJI
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किसान नेता महापंचायत में अपनी मांगों को लेकर क्या ऐलान करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा. कृषि कानूनों के अलावा किसान नेताओं ने बिजली संशोधन विधेयक और सार्वजनिक संपत्ति के मौद्रीकरण का भी मुद्दा उठा दिया है. किसान नेता लगातार कह रहे हैं कि वो कृषि कानूनों के खिलाफ अनिश्चितकालीन लड़ाई लड़ने को तैयार हैं.
राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को लेकर कहा था कि जब तक कृषि कानूनों की वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं होगी. हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के अनुरोध पर वो मुजफ्फरनगर जा रहे हैं, लेकिन अपने घर नहीं जाएंगे.
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