यह ख़बर 04 फ़रवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

2जी : चिदंबरम को बड़ी राहत, स्वामी की अर्जी खारिज

खास बातें

  • दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 2जी मामले में पी चिदंबरम को सह-आरोपी बनाने की सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका खारिज कर दी है।
नई दिल्ली:

दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने 2जी मामले में केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को सह-आरोपी बनाने की मांग करने वाली जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका शनिवार को खारिज कर दी। अदालत के इस फैसले से आलोचनाओं से घिरे चिदम्बरम को जहां राहत मिली, वहीं सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज हो गई।

स्वामी ने कहा है कि वह इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और वह मसले को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उठाएगी।

फैसला चिदम्बरम के पक्ष में आने पर कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मामले की सच्चाई सामने आ गई है।

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से पहले चिदम्बरम को राहत देने वाले अदालत के इस फैसले ने केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को शर्मसार होने से बचा लिया है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने 63 पृष्ठों के अपने फैसले में कहा, "चिदम्बरम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए मैं पर्याप्त आधार नहीं पाता हूं। याचिका में पर्याप्त एवं ठोस आधार न होने के चलते उसे खारिज किया जाता है।"

ज्ञात हो कि स्वामी ने अपनी याचिका में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में वर्ष 2008 के केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम को सहआरोपी बनाने की मांग की थी। स्वामी ने कहा था कि चिदम्बरम और पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने 2जी लाइसेंस के आवंटन में अनियमितताएं बरतीं। लेकिन न्यायाधीश स्वामी द्वारा सौंपे गए साक्ष्यों से प्रभावित नहीं हुए और उन्होंने याचिका खारिज कर दी।

न्यायाधीश ओपी सैनी ने कहा: "दस्तावेजों में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह लगे कि दो निर्णयों को अपनी स्वीकृति देते समय चिदम्बरम भ्रष्ट अथवा अवैध मंशा से काम कर रहे थे अथवा उन्होंने पद का दुरुपयोग किया। दस्तावेजों में इस बात के भी साक्ष्य नहीं हैं कि चिदम्बरम ने किसी सार्वजनिक हित के बिना कोई आर्थिक लाभ प्राप्त किया।"

न्यायाधीश ने कहा, "सबूतों में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह लगे कि स्पेक्ट्रम की कीमत तय करते समय चिदम्बरम दूषित मंशा से काम कर रहे थे।"

वहीं, एक सहयोगी ने बताया कि न्यायालय का फैसला जानने के लिए चिदम्बरम अपने सरकारी आवास 19, सफदरजंग पर टेलीविजन देख रहे थे और इसके लिए उन्होंने अपना एक दिन का मदुरई दौरा भी रद्द कर दिया।

अदालत के इस फैसले पर स्वामी ने कहा कि वह चकित हैं, लेकिन निराश नहीं हैं और वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।  
स्वामी ने यहां संवाददाताओं से कहा, "मैं चकित हूं.. लेकिन निराश नहीं हूं। मैं उच्च न्यायालय में अपील करूंगा और यदि जरूरत पड़ी तो सर्वोच्च न्यायालय जाऊंगा।"

दूसरी ओर शनिवार के इस फैसले पर केंद्र सरकार और उसका नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की है
केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कोलकाता में कहा, "निश्चित रूप से यह एक बेहतर फैसला है। इससे राहत मिली है, क्योंकि व्यर्थ ही एक व्यक्ति को परेशान किया जा रहा था।"

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, "सच्चाई कभी छुपाई नहीं जा सकती। सच्चाई यह है कि चिदम्बरम जो कि हमारे मूल्यवान साथी हैं, हम उनके बारे में यह सबकुछ जानते हैं कि वह प्रत्यक्ष या परोक्षरूप से किसी भी रूप में इस मामले के लिए जिम्मेदार नहीं थे और उनके खिलाफ ये आरोप राजनीतिक कारणों से लगाए जा रहे थे।"

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने भी स्वामी को निशाना बनाया। उन्होंने कहा, "स्वामी मीडिया के बल पर जिंदा हैं और उन्होंने खुद को जिंदा रखने के लिए यह सब किया है।"

2जी मामले में चिदम्बरम पर लम्बे समय से हमला बोल रही भाजपा ने कहा कि अभी यह लड़ाई समाप्त नहीं हुई है।

पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "यह निचली अदालत का फैसला है। इसके ऊपर और भी अदालतें हैं, और सुब्रह्मण्यम स्वामी ने स्पष्टतौर पर कहा है कि वह उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेंगे।"

प्रसाद ने कहा, "राजनीतिक दृष्टिकोण से आप इस सच्चाई को झुठला नहीं सकते कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने देश में 122 लाइसेंस रद्द कर दिए हैं, क्योंकि न्यायालय ने पाया कि ये सभी लाइसेंस भ्रष्टाचार, मनमानी और नीति के साथ छेड़छाड़ करते हुए जारी किए गए थे।"

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भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि पार्टी संसद में चिदम्बरम का बहिष्कार जारी रखेगी।