देहरादून:
उत्तरांखड के गौरीकुंड में मंगलवार को हुए हेलीकॉप्टर हादसे में मारे गए 17 लोगों के शव मिले हैं, बाकी की तलाश जारी है। इसके साथ ही वायुसेना के इस हेलीकॉप्टर एमआई-17 का कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर भी मिल गया है।
वायुसेना प्रमुख एनएके ब्राउन ने अधिकारियों और जवानों से मुखातिब होने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘सौभाग्य से, हमने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर बरामद कर लिया है। और, मुझे लगता है कि हम कुछ ही दिनों में इस दुर्घटना के सही कारणों का पता लगा लेंगे।’’
उन्होंने कहा कि इस समय इस दुर्घटना के पीछे के कारणों पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। मारे गए लोगों में वायुसेना के पांच, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के छह जवान और राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल (एनडीआरएफ) के नौ लोग शामिल थे।
ब्राउन से जब पूछा गया कि क्या यहां सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई है, तो उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक अनदेखी का सवाल है, तो मैं ऐसा नहीं कहूंगा। पहाड़ों में, विशेषकर मानसून के दौरान, मौसम की समस्या हमेशा बनी रहती है। लेकिन, इस समय हम निश्चित रूप से यह नहीं बता सकते कि इस दुर्घटना का कारण मौसम था या कोई तकनीकी समस्या।’’
उन्होंने कहा कि बचाव अभियान के दौरान जोखिम हमेशा बना रहता है और हर दिन इसकी समीक्षा की जाती है।
उन्होंने कहा कि वायुसेना के पायलट बेहद योग्य और इस तरह के अभियान कार्यान्वित करने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं और हमारे जवानों का मनोबल बेहद ऊंचा बना हुआ है। बचाव अभियान में शामिल वायुसेना के जवानों और दूसरी एजेंसियों ने ‘बेहद शानदार’ ढंग से काम किया है।
ब्राउन ने कहा कि अगर वायुसेना को तीन से चार दिनों तक अच्छा मौसम मिलता है, तो वह अपना अभियान पूरा कर लेगी। उन्होंने कहा, ‘‘अगर शुक्रवार से मौसम सुधरने लगता है, तो सोमवार, मंगलवार तक हम यह सब (अभियान) पूरा कर लेंगे।’’ एमआई-17 वी-5 हेलीकॉप्टर गौचर से गुप्तकाशी और केदारनाथ में जारी बचाव अभियान में जुटा था, जहां से लौटते समय कल दोपहर गौरीकुंड के उत्तर में यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
उत्तराखंड में मुश्किल मौसम के बावजूद बचाव अभियान में जुटे पायलटों की हौसला अफजाई करने के लिए आज सुबह यहां पहुंचे ब्राउन ने कहा कि बचाव अभियान पूरा हो जाने के बाद वायुसेना राज्य में बुनियादी ढांचों की मरम्मत के काम में जुट जाएगी, जिसके लिए इसे भारी उपकरण लाने होंगे।
ब्राउन ने इस काम में वायुसेना की मदद करने के लिए स्थानीय प्रशासन की भी प्रशंसा की।
वायुसेना प्रमुख एनएके ब्राउन ने अधिकारियों और जवानों से मुखातिब होने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘सौभाग्य से, हमने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर बरामद कर लिया है। और, मुझे लगता है कि हम कुछ ही दिनों में इस दुर्घटना के सही कारणों का पता लगा लेंगे।’’
उन्होंने कहा कि इस समय इस दुर्घटना के पीछे के कारणों पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। मारे गए लोगों में वायुसेना के पांच, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के छह जवान और राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल (एनडीआरएफ) के नौ लोग शामिल थे।
ब्राउन से जब पूछा गया कि क्या यहां सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई है, तो उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक अनदेखी का सवाल है, तो मैं ऐसा नहीं कहूंगा। पहाड़ों में, विशेषकर मानसून के दौरान, मौसम की समस्या हमेशा बनी रहती है। लेकिन, इस समय हम निश्चित रूप से यह नहीं बता सकते कि इस दुर्घटना का कारण मौसम था या कोई तकनीकी समस्या।’’
उन्होंने कहा कि बचाव अभियान के दौरान जोखिम हमेशा बना रहता है और हर दिन इसकी समीक्षा की जाती है।
उन्होंने कहा कि वायुसेना के पायलट बेहद योग्य और इस तरह के अभियान कार्यान्वित करने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं और हमारे जवानों का मनोबल बेहद ऊंचा बना हुआ है। बचाव अभियान में शामिल वायुसेना के जवानों और दूसरी एजेंसियों ने ‘बेहद शानदार’ ढंग से काम किया है।
ब्राउन ने कहा कि अगर वायुसेना को तीन से चार दिनों तक अच्छा मौसम मिलता है, तो वह अपना अभियान पूरा कर लेगी। उन्होंने कहा, ‘‘अगर शुक्रवार से मौसम सुधरने लगता है, तो सोमवार, मंगलवार तक हम यह सब (अभियान) पूरा कर लेंगे।’’ एमआई-17 वी-5 हेलीकॉप्टर गौचर से गुप्तकाशी और केदारनाथ में जारी बचाव अभियान में जुटा था, जहां से लौटते समय कल दोपहर गौरीकुंड के उत्तर में यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
उत्तराखंड में मुश्किल मौसम के बावजूद बचाव अभियान में जुटे पायलटों की हौसला अफजाई करने के लिए आज सुबह यहां पहुंचे ब्राउन ने कहा कि बचाव अभियान पूरा हो जाने के बाद वायुसेना राज्य में बुनियादी ढांचों की मरम्मत के काम में जुट जाएगी, जिसके लिए इसे भारी उपकरण लाने होंगे।
ब्राउन ने इस काम में वायुसेना की मदद करने के लिए स्थानीय प्रशासन की भी प्रशंसा की।
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