उत्तराखंड (Uttarakhand) में चार साल बाद हरिद्वार (Haridwar) में हर की पौड़ी (Har ki Pauri) पर गंगा (Ganges) नदी की वापसी हो गई है. इस बारे में उत्तराखंड सरकार ने लिखित आदेश जारी कर दिया है. उत्तराखंड सरकार ने साल 2016 के शासनादेश में से 'हर की पौड़ी से बहने वाली धारा को इस्केप चैनल' घोषित करने वाला हिस्सा हटा दिया है. राज्यपाल ने भी इसको मंजूरी दे दी है. इसके बाद अब औपचारिक रूप से हर की पौड़ी और उसके आगे पीछे के 3 किलोमीटर के तट से बहने वाली गंगा नदी को इस्केप चैनल की जगह फिर से गंगा के नाम से जाना जाएगा. NDTV ने 24 नवंबर को इस मामले को लेकर खबर दिखाई थी.
दरअसल, दिसंबर 2016 में उत्तराखंड में जब कांग्रेस की हरीश रावत सरकार सत्ता में थी तो उस दौरान एक शासनादेश जारी किया गया था. शासनादेश यानी गवर्नमेंट ऑर्डर जिसमें कहा गया कि 'सर्वानंद घाट से श्मशान घाट खड़खड़ी तक, वहां से हरकी पौड़ी होते हुए डामकोठी तक और डामकोठी के बाद सतीघाट कनखल से होते हुए दक्ष मंदिर तक बहने वाले भाग को इस्केप चैनल माना जाता है.' यानी तत्कालीन उत्तराखंड सरकार ने हर की पौड़ी से पहले और हर की पौड़ी के बाद बहने वाली करीब 3 किलोमीटर गंगा नदी का नाम बदलकर 'इस्केप चैनल' कर दिया था.
साल 2017 में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार हुई और मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद अपना चुनाव भी दो-दो जगह से हार गए जिसमें एक सीट हरिद्वार ग्रामीण की शामिल थी. इसके बाद एक तरफ जहां हरीश रावत ने अपनी सरकार की तरफ से किए गए इस काम के लिए माफी मांगी, वहीं बीजेपी नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत जब मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर 17 दिन बाद हरिद्वार आए तो उन्होंने ऐलान किया कि कांग्रेस की सरकार ने गंगा नदी का नाम बदलने का जो गलत काम किया था उसको उनकी सरकार तुरंत सुधारने का काम करेगी.
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