प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 50,000 अमेरिकी भारतीय लोगों को ह्यूस्टन में संबोधित करना दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र के बीच बढ़ रहे द्विपक्षीय संबंधों को रेखांकित करता है. अमेरिका के एक शीर्ष समाचार पत्र ने अपने संपादकीय में यह बात कही है.
द वाल स्ट्रीट जर्नल ने दोनों नेताओं के ह्यूस्टन में ऐतिहासिक संबोधन के घंटों बाद कहा, ‘‘ संयुक्त रूप से साथ आना भारत-अमेरिका के बीच बढ़ रहे रणनीतिक महत्व को रेखांकित करता है. दो बड़े लोकतांत्रिक देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व की महत्वाकांक्षा पर लगाम लगाने के लिए अहम है.''
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अखबार ने लिखा कि ट्रंप की नजर इस समुदाय के बढ़ रहे मतदाताओं पर है और वह 2016 के मुकाबले 2020 में इस समुदाय का ज्यादा से ज्यादा वोट चाहते हैं. ट्रंप भारतीय अमेरिकी लोगों से जुड़ने से मिलने वाले लाभ को समझते हैं क्योंकि इस समुदाय का योगदान 21वीं सदी में दोनों देशों की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है.
वहीं द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि यह रैली एक तरह के दो नेताओं को साथ लाई है. अखबार ने लिखा है कि दोनों ही दक्षिण पंथी लोकवाद को गले लगाकर सत्ता में आए हैं और दोनों ने खुद को स्थापित सत्ता के खिलाफ लड़ रहे लोगों का चैंपियन दिखाया.
अखबार ने लिखा है कि दोनों ही मतदाताओं के बीच इस दृष्टिकोण के साथ गए कि वह अपने देश को ‘दोबारा महान' बनाएंगे.
इसी के साथ इस अखबार ने यह भी कहा है कि भले ही मोदी ट्रंप के साथ हों लेकिन ट्रंप के लिए भारतीय अमेरिकी समुदाय का वोट पाना आसान नहीं होगा क्योंकि भारतीय अमेरिकी जनता डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवारों के लिए मतदान करते है.
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