नई दिल्ली:
स्वीडन के पूर्व जांच अधिकारी स्टेन लिंडस्ट्रोम के ताजा खुलासे की पृष्ठभूमि में गुरुवार को एक बार फिर संसद में विवादास्पद बोफोर्स तोप सौदे की गूंज उठी और भाजपा ने इस मामले की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की। सत्ता पक्ष ने हालांकि यह कहकर ऐसा करने से इनकार किया कि उच्चतम न्यायालय दिवंगत नेता राजीव गांधी को क्लीनचिट देकर पहले ही मामले को बंद कर चुका है।
इस मुद्दे को लेकर लोकसभा में भारी हंगामा हुआ, जिसके चलते सदन की बैठक को साढ़े 12 बजे ही दोपहर बाद दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। विपक्ष ने जहां इस मामले को नए सिरे से खोले जाने और इसकी न्यायिक जांच की मांग की, तो वहीं सत्ता पक्ष ने बार-बार दोहराया कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को क्लीन चिट दे चुका है और अब लिंडस्ट्रोम द्वारा भी इस सौदे में उनकी किसी प्रकार की भूमिका से इनकार किए जाने के बाद यह मुद्दा खत्म हो चुका है। सत्ता पक्ष का कहना था कि भाजपा को राजीव गांधी को बदनाम करने के लिए कांग्रेस पार्टी से माफी मांगनी चाहिए।
गौरतलब है कि पूर्व स्वीडिश पुलिस प्रमुख लिंडस्ट्रोम ने पिछले दिनों दिए एक साक्षात्कार में खुलासा किया कि बोफोर्स घोटाले में राजीव गांधी के खिलाफ घूस लेने के कोई सबूत नहीं हैं, लेकिन उनकी तत्कालीन सरकार ने इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ इस मामले में जांच को धीमा करने का प्रयास किया था।
इस मुद्दे को लेकर लोकसभा में भारी हंगामा हुआ, जिसके चलते सदन की बैठक को साढ़े 12 बजे ही दोपहर बाद दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। विपक्ष ने जहां इस मामले को नए सिरे से खोले जाने और इसकी न्यायिक जांच की मांग की, तो वहीं सत्ता पक्ष ने बार-बार दोहराया कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को क्लीन चिट दे चुका है और अब लिंडस्ट्रोम द्वारा भी इस सौदे में उनकी किसी प्रकार की भूमिका से इनकार किए जाने के बाद यह मुद्दा खत्म हो चुका है। सत्ता पक्ष का कहना था कि भाजपा को राजीव गांधी को बदनाम करने के लिए कांग्रेस पार्टी से माफी मांगनी चाहिए।
गौरतलब है कि पूर्व स्वीडिश पुलिस प्रमुख लिंडस्ट्रोम ने पिछले दिनों दिए एक साक्षात्कार में खुलासा किया कि बोफोर्स घोटाले में राजीव गांधी के खिलाफ घूस लेने के कोई सबूत नहीं हैं, लेकिन उनकी तत्कालीन सरकार ने इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ इस मामले में जांच को धीमा करने का प्रयास किया था।
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