यह ख़बर 28 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

यूपीए से सपा के समर्थन वापस लेने की संभावना कबूली मनमोहन ने

खास बातें

  • केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी द्वारा पिछले कुछ दिनों में सरकार के खिलाफ तीखे बयान दिए जाने के बीच प्रधानमंत्री ने सपा द्वारा समर्थन वापसी की संभावना स्वीकार की, लेकिन सरकार को कोई खतरा होने या समय-पूर्व चुनाव की संभावनाओं को खारिज
नई दिल्ली:

केंद्र की यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी द्वारा पिछले कुछ दिनों में सरकार के खिलाफ तीखे बयान दिए जाने के बीच प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने गुरुवार को सपा द्वारा समर्थन वापसी की संभावना तो स्वीकार की, लेकिन सरकार को कोई खतरा होने या समय-पूर्व चुनाव की संभावनाओं को खारिज कर दिया।

गठबंधन की बाध्यताओं को सुधार प्रक्रिया के आड़े नहीं आने देने का संकल्प जताते हुए मनमोहन ने कहा कि सरकार को सुधार कार्यक्रम आगे बढ़ाने का विश्वास है और इसके परिणाम अगले कुछ महीनों में सामने आएंगे।

डॉ सिंह की बातों से ऐसा प्रतीत हुआ कि वह स्वयं को अगले लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री के दौड़ से खारिज नहीं कर रहे हैं। सिंह ने कहा, ‘‘यह स्वाभाविक है कि गठबंधन को कई मुद्दों से रूबरू होना पड़ता है। कई बार ऐसा लगता है कि इस प्रकार की व्यवस्था स्थायी नहीं है और मैं इससे इंकार नहीं करता कि ऐसी संभावनाएं नहीं उत्पन्न होती।’’

दक्षिण अफ्रीका के डरबन ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद अपनी चार-दिवसीय यात्रा से लौटते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी सरकार पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी। लोकसभा के लिए अगले चुनाव निर्धारित समय पर (2014) ही होंगे।’’ मनमोहन सिंह से पूछा गया था कि डीएमकेके यूपीए सरकार से अलग होने के बाद क्या अब सपा भी समर्थन वापस ले सकती है।

डीएमके के लोकसभा में 18 सांसद हैं और उसने श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया और पिछले कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी सरकार और कांग्रेस पार्टी को निशाना बना रही है। समाजवादी पार्टी के लोकसभा में 22 सांसद और बसपा के 21 सांसद हैं, जो केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं और कई बार संकट में सरकार को उबारने का काम किया है।

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यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार के पास सुधारों को जारी रखने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधार एक बार तय की जाने वाली व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘सुधारों को आगे बढ़ाते हुए निश्चित तौर पर इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा कि संसद में हमारे कुछ सुधारों को मंजूरी दिलाने के लिए हमारे पास बहुमत नहीं है, इसलिए हम निश्चित तौर पर हमारे सहयोगियों की शुभेच्छा पर निर्भर हैं और मैं अंतिम व्यक्ति होऊंगा, जो इस बात से इनकार करूंगा कि इसमें अनिश्चितताएं हैं।’’