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This Article is From Mar 15, 2012

संप्रग सरकार को कोई खतरा नहीं : तृणमूल

नई दिल्ली: रेल बजट में किराया वृद्धि की घोषणा के बाद संसद में हंगामे के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को गुरुवार को उस वक्त राहत मिली जब इसकी एक अहम साझीदार तृणमूल कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि सरकार को कोई खतरा नहीं है।

तृणमूल संसदीय दल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा में कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि संप्रग द्वितीय की सरकार पूरी तरह मजबूत स्थिति में है और यह अपना कार्यकाल पूरा करेगी।" उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने किराया वृद्धि वाला बजट पेश करने के लिए रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी का इस्तीफा नहीं मांगा है।

श्रीलंका मुद्दे पर विपक्ष के साथ मिलकर सरकार को घेरने वाली संप्रग की एक अन्य महत्वपूर्ण भागीदार द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने भी कहा कि वह मनमोहन सिंह सरकार के साथ है। पार्टी के सांसद टी. आर. बालू ने कहा, "हम संप्रग द्वितीय का हिस्सा हैं और इसमें बने रहेंगे।"

इस बीच, कांग्रेस ने गठबंधन सहयोगियों के साथ मतभेदों को स्वाभाविक करार देते हुए कहा कि ऐसा पहले भी होता रहा है। पार्टी की नेता व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने संवाददाताओं से कहा, "सभी (गठबंधन साझीदार) की अपनी राजनीतिक मजबूरियां हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन नेतृत्व इसका समाधान तलाश रहा है।"

इससे पहले संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी दलों ने रेल बजट तथा रेल मंत्री के भविष्य पर सवाल उठाते हुए जमकर हंगामा किया। तृणमूल कांग्रेस द्वारा किराया वृद्धि वापस लेने और दिनेश त्रिवेदी को हटाने तथा उनकी जगह मुकुल रॉय को लाने के लिए पार्टी अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को किए गए फैक्स की खबरों के बीच वे जानना चाहते थे कि क्या रेल मंत्री ने पद से इस्तीफा दे दिया है?

लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज सहित विपक्ष के अन्य नेताओं ने भी इस पर एक नोटिस जारी कर प्रश्नकाल स्थगित करने तथा सदन में इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। राज्यसभा में भी इस मुद्दे पर हंगामा हुआ, जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई।

इन सबके बीच सरकार ने स्पष्ट किया कि त्रिवेदी ने इस्तीफा नहीं दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में हालांकि यह बताया कि सरकार को ममता से रेल किराया वृद्धि वापस लेने का पत्र मिला है। इस मुद्दे पर हंगामा कर रहे विपक्ष से उन्होंने यह भी कहा कि वे 'जिद्दी बच्चे' की तरह व्यवहार कर रहे हैं।

मुखर्जी ने रेल बजट तैयार करने की जिम्मेदारी भी खुद पर लेते हुए कहा कि अब यह सदन में है और वही इस पर फैसला लेगी।

त्रिवेदी के स्थान पर राय को लाने की खबरों पर प्रधानमंत्री ने भी सधी हुई प्रतिक्रिया व्यक्त की। संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, "यदि इस तरह की स्थितियां बनती हैं तो हम इस पर विचार करेंगे।"

त्रिवेदी ने गुरुवार को हालांकि लोकसभा में कुछ नहीं कहा, लेकिन सदन के बाहर संववाददाताओं से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री या ममता ने उन्हें इस्तीफे के लिए नहीं कहा है। लेकिन यदि उनसे इस्तीफा मांगा जाता है तो वह ऐसा करेंगे।

ममता के इस दावे पर कि उन्हें किराया वृद्धि के बारे में जानकारी नहीं थी, त्रिवेदी ने कहा, "मैंने पूर्व में इसके संकेत दिए थे। मैं इससे अधिक कुछ नहीं कहूंगा, क्योंकि मैं पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं।"

इससे पहले जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सलाह-मशविरा किए बगैर बजट पेश नहीं करना चाहिए था।

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