यूपी में गेहूं की सरकारी खरीद (UP wheat Procurement centers Vacant) शुरू हो चुकी है लेकिन सरकारी खरीद केंद्र पर सन्नाटा और आटा मिलों के बाहर गेहूं बेचने वाले किसानों की कतार क्यों लगी है. बागपत में खेकड़ा कस्बे की फ्लोर मिल के बाहर गेहूं बेचने वाले ट्रैक्टर और गाड़ियों की लंबी कतार लगी है....इस मिल में गेहूं बेचने वालों की कतार में प्रवीण कुमार भी लगे हैं...उनका करीब 40 क्विंटल गेहूं सरकारी खरीद रेट से करीब 100 रुपये मंहगा फ्लोर मिल ले रहा है. बागपत के किसान प्रवीण कुमार ने कहा कि पिछले साल सरकारी खरीद केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए रात-रात भर लाइन में खड़ा रहना पड़ था इसलिए यहां लेकर आए हैं. यहां 3-4 घंटे में गेहूं भी बिक जाता है और MSP से ज्यादा पैसा भी मिल रहा है.
इसी तरह के हालात गाजियाबाद गल्ला मंडी में भी हैं...यहां गेहूं की सरकारी खरीद केंद्र पर सन्नाटा है लेकिन यहां से मुश्किल 100 मीटर की दूरी पर मोनू त्यागी अपना गेहूं एक व्यापारी को बेच रहे हैं। मोनू कहते हैं कि MSP 2015 रुपये है जबकि व्यापारी 2100 रुपये में गेहूं खरीद रहे हैं. मोनू त्यागी ने पूछा गया, आप यहां गेहूं बेच रहे हैं. 100 कदम पर सरकारी खरीद केंद्र है, वहां क्यों नहीं बेच रहे हैं. यहां सौ रुपये ज्यादा ले रहे हैं. यहां से कोई ज्यादा देगा तो वहां गेहूं लेकर चले जाएंगे.
इस साल सरकारी खरीद केंद्र पर किसान अपना गेहूं कम क्यों बेच रहे हैं. हम हापुड़ में गेहूं की सरकारी खरीद केंद्र पहुंचे. सरकारी गेहूं खरीद केंद्र पर 15 दिन बाद पहला किसान अपना गेहूं बेचने आया है. सरकारी खरीद केंद्र की प्रभारी गरिमा दुबे भी मानती है कि इस बार सरकारी खरीद कम हो रही है. गेहूं खरीद केंद्र हापुड़ प्रभारी गरिमा दुबे ने कहा कि 18,000 कुंतल लक्ष्य है, लेकिन इस बार खरीद कम है- 15 दिन में पहली ट्राली आई है. मार्केट रेट और सरकारी रेट में अंदर है, इसलिए ऐसा हो सकता है.
इस साल भारत 44 लाख टन गेहूं का भंडारण करेगा. खुद उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का मानना है कि रूस यूक्रेन युद्ध के चलते भारत के गेहूं की मांग बढ़ी है इसी के चलते इस साल भारत 10 लाख टन गेहूं का निर्यात करेगा. उद्योग मंत्री पीयूष गोयल 28 मार्च को मिस्र की टीम भारत आई थी और अभी अप्रैल में निर्णय लिया गया है कि गेहूं का निर्यात किया जाएगा. यही वजह है कि प्राइवेट कंपनियां किसानों से सीधे ज्यादा से ज्यादा गेहूं खरीद कर वैश्विक बाजार में अच्छे मुनाफे पर बेचना चाहती हैं और किसानों की मजबूरी ये है कि उसे तुरंत अपना गेहूं कम मुनाफे में बेचकर अगली फसल लगाने के लिए पैसे चाहिए.
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