उत्तर प्रदेश (UP) के आगरा के एक अस्पताल से एक विचलित करने वाला वीडियो सामने आया है, इस वीडियो में एक शख्स बिस्तर पर लेटी अपनी 'मृतपाय' मां की चेस्ट को हाथ से प्रेस करके (Cardiopulmonary resuscitation या CPR) जान फूंकने की कोशिश कर रहा है और मदद के लिए डॉक्टर को पुकार रहा है. हालांकि इस कोशिश का कोई असर नहीं हो पाया और इस व्यक्ति की 61 वर्षीय मां की सोमवार सुबह उसकी बांहों में ही मौत हो गई.
NDTV को दिए फोन इंटरव्यू में, इस वीडियो के नजर आने वाले मोहित शर्मा रोते हुए कहते हैं, "उसके (मां के) मेरे लिए आखिरी शब्द थे- तुम्हें मुझे घर पर ही मरने देना चाहिए था."
मोहित अपनी मां ममता शर्मा को सोमवार सुबह शहर के सरोजिनी नायडू अस्पताल लेकर गया था. उनकी कोविड-19 रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. सोशल मीडिया पर वायरस हो रहे वीडियो में मोहित ने अस्पताल में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ पर उसकी मां की इलाज को लेकर उदासीन होने का आरोप लगाया. मोहित के अनुसार, उसकी मां को सांस लेने में परेशानी (यह भी कोरोना वायरस का एक लक्षण) है के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन हॉस्पिटल स्टॉफ उनके नजदीक आने से भी हिचक रहा था. गौरतलब है कि सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज आगरा का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है और शहर में COVID-19 उपचार का नोडल केंद्र भी है. ताज नगरी आगरा, यूपी का सबसे बड़ा कोरोनावायरस हॉटस्पॉट है.वीडियो में मोहित को अपनी मां को CPR के जरिये पुनर्जीवित करने की कोशिश करते हुए यह आवाज लगाते हुए सुना जा सकता है, "बुला दो, फोन कर दो." मोहित ने बताया कि इसके कुछ देर बाद सुबह 10:30 बजे मां की मृत्यु हो गई.
ममता शर्मा पिछले तीन वर्षों से सांस की बीमारी Chronic Obstructive Pulmonary Disease से जूझ रही थीं. रविवार की रात, उनकी हालत खराब हो गई और बेटे मोहित ने मां को नजदीक के अस्पताल ले जाने का फैसला किया. मोहित ने बताया कि मेरी परिचित एक डॉक्टर ने कहा कि कोई भी अस्पताल कोरोना वायरस टेस्ट के बगैर पेशेंट को भर्ती नहीं कर रहा. उन्होंने बताया, "मैं उसे एसएन मेडिकल कॉलेज के सर्जिकल वार्ड में ले गया. एक डॉक्टर ने मुझसे पूछा कि समस्या क्या है और मुझे दूसरे कमरे में भेज दिया. मैं दूसरे डॉक्टर से मिला. मैंने उस डॉक्टर को बताया कि उनकी इस हालत का कोविड-19 से कोई लेना-देना नहीं है. वे तीन साल से सांस लेने में परेशानी का सामना कर रही हैं. इस डॉक्टर ने मुझे कागजी औपचारिकता पूरी करने को कहा जो मैंने कीं. फिर मुझे पहली मंजिल पर एक वार्ड में ले जाने के लिए कहा गया. मुझे बाद में पता चला कि यह एक आइसोलेशन वॉर्ड है."
वह एक अन्य वीडियो में मोहित ने रात के अपने कड़वे अनुभव के बारे में बताया. उसने दावा किया कि मां को पहले फ्लोर से आइसोलेशन वॉर्ड में उसे अकेले ही ले जाना पड़ा. उसने कहा, ''कोई भी उन्हें (मां को) छूना नहीं चाहता था. वार्ड तक के के मेरे रास्ते में, डॉक्टरों ने कहा कि वार्ड में सिलेंडर और नेबुलाइज़र हैं और मुझे उनका उपयोग करना चाहिए, लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि उनका उपयोग कैसे करना है. मुझे बार-बार वॉर्ड बॉय और गेट के बाहर खड़े गार्डस से संपर्क करना पड़ा. उन्होंने मुझे यह बताया कि इन उपकरणों को कैसे संचालित करना है लेकिन उन्होंने मेरी माँ के पास जाने से मना कर दिया, मोहित शर्मा ने एनडीटीवी को बताया कि वह सोमवार सुबह ग्राउंड फ्लोर पर डॉक्टरों के कमरे में तीन बार गए लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला.
इस बीच, मामले पर उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने इस बात जांच के आदेश दिए हैं कि क्या महिला को इलाज से वंचित रखा गया? "कोरोना वायरस मलों की देखरेख के लिए हाल ही में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा नियुक्त वरिष्ठ नौकरशाह आलोक कुमार ने कहा, 'मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि जिन लोगों को COVID-19 के अलावा अन्य स्थितियों में इलाज करवाना है, उन्हें अस्पताल में प्रवेश मिलना चाहिए. कुछ स्थानीय अखबारों ने एक महिला की मौत की खबर छापी है. मैंने इस बात की जांच का आदेश दिया है कि मरीज का इलाज किया गया था या नहीं."
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