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This Article is From Jan 24, 2022

उत्तर प्रदेश चुनाव : बागपत में सपा-आरएलडी गठबंधन पर खतरे के बादल मंडरा रहे

कई सीटों पर दोनों पार्टियों के समर्थकों में खींचतान शुरू हो गई, सपा-आरएलडी गठबंधन के उम्मीदवारों को अंदर से विरोध झेलना पड़ रहा

उत्तर प्रदेश चुनाव : बागपत में सपा-आरएलडी गठबंधन पर खतरे के बादल मंडरा रहे
जयंत चौधरी और अखिलेश यादव (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के संसदीय क्षेत्र बागपत में इस बार सपा-आरएलडी गठबंधन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. 2022 के विधान सभा चुनावों में जाट और मुसलमान वोटरों का समर्थन जीतने के लिए चौधरी चरण सिंह के पोते और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है. लेकिन कई सीटों पर दोनों पार्टियों के समर्थकों में खींचतान शुरू हो गई है. गठबंधन के उम्मीदवारों को अंदर से विरोध झेलना पड़ रहा है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल एक साझा गठबंधन के साथ इस बार चुनाव मैदान में हैं. सीटों के बंटवारे के तहत बागपत संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले सिवालखास विधानसभा क्षेत्र में समाजवादी पार्टी ने 2012 में चुनाव जीतने वाले ग़ुलाम मोहम्मद को टिकट दिया है. लेकिन RLD के कुछ जाट नेता और समर्थक इसके विरोध में खड़े हो गए हैं. 

आरएलडी नेताओं की नाराज़गी इस बात को लेकर है कि सीटों के बटवारे में RLD के जाट उम्मीदवारों को तवज्जो नहीं दी गई है. इस इलाके में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में बहुत नाराजगी थी और यहां के जाट नेताओं ने इस इलाके में किसान आंदोलन को लीड किया था. 

आरएलडी के जाट नेता सुनील रहोटा ने सिवालखस विधानसभा क्षेत्र के सतवाई गांव में आपने पोस्टर भी लगवा दिए थे.

आरएलडी कार्यकर्ता  मोहम्मद यूनुस ने NDTV से कहा, "राष्ट्रीय लोक दल के कुछ स्थानीय बड़े जाट नेता सीवालखास में चुनाव लड़ना चाहते थे. आरएलडी के स्थानीय बड़े जाट नेता यशवीर सिंह, सुनील रोहटा और राजकुमार सांगवान सिवालखास में टिकट के दावेदार थे...जयंत चौधरी ने नाराज आरएलडी नेताओं को समझाया है."

उधर सीवालखास विधानसभा क्षेत्र में सपा-आरएलडी के साझा उम्मीदवार गुलाम मोहम्मद अपनी पार्टी समाजवादी पार्टी और आरएलडी के लोगो का स्कार्फ पहनकर प्रचार कर रहे हैं. उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में कैमरे पर माना कि आरएलडी के जाट नेता सिवालखास सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे.

गुलाम मोहम्मद ने NDTV से कहा, "आरएलडी के जाट नेता जयंत चौधरी से टिकट मांग रहे थे... हम अखिलेश यादव से टिकट मांग रहे थे...अगर मुझे टिकट नहीं मिलता तो हमारे लोगों में भी वही जज्बात होता...आरएलडी के नेता जो टिकट मांग रहे थे उनके लोगों के भी जज्बात थे...यह सही है कि चौधरी समुदाय के नेता किसान आंदोलन में एक्टिव रहे हैं लेकिन मुस्लिम फार्मर्स ने भी उनका पूरा सहयोग किया है."

खबर है कि राष्ट्रीय जाट महासंघ भी जाट उम्मीदवारों को सीटों के बंटवारे में तवज्जो नहीं देने से नाराज है.  समाजवादी पार्टी के जाट नेता जयवीर सिंह स्वीकार करते हैं कि जाट नेताओं का सिवालखास विधानसभा सीट पर टिकट को लेकर दबाव था.

सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष जयवीर सिंह ने  NDTV से कहा, "आरएलडी के ज्यादातर समर्थक जाट समुदाय के हैं...RLD के जाट नेता टिकट मांग रहे थे...यह सही बात है कि जाट को अगर टिकट दिया गया होता तो फायदा होता...लेकिन जब तक सभी बिरादरी का समर्थन नहीं मिलता आप चुनाव कैसे जीत सकते हैं?"

इस विधानसभा क्षेत्र में चार लाख वोटर हैं जिनमें एक अनुमान के मुताबिक करीब 25 फीसदी मुस्लिम हैं. सपा-आरएलडी एलायंस की नजर यहां के जाट मुस्लिम वोट बैंक पर है. 

पश्चिम उत्तर प्रदेश में पहले चरण के चुनाव 10 फरवरी को होंगे. यानी गठबंधन के पास इस अंदरूनी राजनीतिक गतिरोध से निपटने के लिए ज्यादा समय नहीं है. इस विरोध को अगर जल्दी दूर नहीं किया गया तो इस इलाके के जाट मुस्लिम वोटरों को लुभाने की उनकी कवायद कमज़ोर पड़ सकती है. 

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