केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के बाद अब लोगों को अपने रहते पीओके के भारत में शामिल होने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. उन्होंने एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, 'हम खुशकिस्मत हैं कि यह (विशेष दर्जे को रद्द करना) हमारे जीवनकाल में हुआ. यह हमारी तीन पीढ़ियों के बलिदानों से हुआ है. इस ऐतिहासिक कदम के बाद, आइए हम पीओके को पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्त करने की सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें और इसे संसद में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव (1994 में) के अनुसार देश का अभिन्न अंग बनाएं.' साथ ही उन्होंने कहा, 'हम प्रार्थना करते हैं कि हम देश के साथ पीओके को देख सकें, लोग मुजफ्फराबाद (पीओके की राजधानी) में आसानी से जा पाएं.'
सिंह ने रविवार को कहा कि जम्मू कश्मीर पर केंद्र का फैसला संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप ‘‘व्यापक अनुसंधान'' के बाद लिया गया है और यह किसी भी कानूनी चुनौती का सामना कर सकता है. संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में बांटे जाने के केंद्र के फैसले का बचाव करते हुए सिंह ने कहा, ‘रातों रात कुछ भी नहीं होता है. अनुच्छेद 370 और जम्मू कश्मीर के संविधान के व्यापक अध्ययन एवं अनुसंधान के बाद ही इस विषय के विद्वतजनों ने इस विधेयक का मसौदा तैयार किया है.'
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उन्होंने कहा, ‘संविधान के अनुच्छेद 370 का उपबंध तीन राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वह प्रावधान के किसी भी हिस्से को पूरी तरह से या कुछ चीजों को छोड़कर इसे कभी भी निष्क्रिय कर सकते हैं. यह जम्मू कश्मीर के संविधान में भी है. अनुच्छेद 366 यह स्पष्ट करता है कि विधानसभा की गैरमौजूदगी में राज्यपाल वैधानिक प्राधिकारी होते हैं.'
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प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री यहां भाजपा कार्यालय में लोगों की सभा को संबोधित कर रहे थे. इस महीने की शुरुआत से सरकार के इस कदम के प्रभावी होने के बाद से इसे चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गयी हैं, जिस पर सिंह ने कहा था कि केंद्र का फैसला किसी भी कानूनी चुनौती का सामना कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘कोई रोक का आदेश जारी नहीं होगा... यह कदम विशेष प्रावधान और जम्मू कश्मीर संविधान के अनुरूप उठाया गया है.'
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