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This Article is From Jul 20, 2020

राजस्थान के CM अशोक गहलोत और मोदी के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत में क्यों है '36 का आंकड़ा'?

राजस्थान की सियासत के हाई लेवल के ड्रामे में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जो लड़ाई है, वो तो है ही, एक और नाम है जो उछला है गजेंद्र सिंह शेखावत का और अब जब उछला है तो नोटिस जारी होने और एफआईआर दर्ज होने तक पहुंचा है.

राजस्थान के CM अशोक गहलोत और मोदी के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत में क्यों है '36 का आंकड़ा'?
राजस्थान के सियासी संग्राम के बीच की धुरी बन गए हैं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

Rajasthan Political Crisis: राजस्थान की सियासत में हाई लेवल का ड्रामा चल रहा है. इस ड्रामे में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच जो लड़ाई है, वो तो है ही, एक और नाम है जो उछला है. यह नाम सामने आने के बाद मामला नोटिस जारी और एफआईआर दर्ज होने तक पहुंचा है. राजस्थान कांग्रेस एक तरफ सचिन पायलट से राजस्थान हाईकोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रही है, वहीं उसकी दूसरी सियासी लड़ाई जोधपुर से लोकसभा सांसद और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) से चल रही है.

राजस्थान कांग्रेस ने पिछले हफ्ते राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख़्त (Horse-trading) को लेकर तीन ऑडियो क्लिप जारी किया था और इसमें शेखावत की आवाज़ होने का दावा किया था. पार्टी ने आरोप लगाया था कि इस क्लिप में उसके विधायक भंवरलाल शर्मा की भी आवाज है, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था. ऑडियो क्लिप केस में राजस्थान SOG (Special Operation Group) ने शुक्रवार को शेखावत, भंवरलाल शर्मा और संजय जैन पर एफआईआर दर्ज किया था. शेखावत के खिलाफ तो राजद्रोह की धारा में केस दर्ज किया गया है. 

अब इस पूरे मामले में शेखावत का नाम जोर-शोर से लिया जा रहा है, एक तरह से फिलहाल वो राजस्थान की सियासी लड़ाई की धुरी बन गए हैं. सोमवार को राजस्थान SOG ने उन्हें उनके दिल्ली आवास पर नोटिस भेजा है. न्यूज़ एजेंसी ANI के मुताबिक शेखावत ने कहा कि 'मेरे निजी सचिव के जरिेए राजस्थान SOG ने मुझे नोटिस भेजा है, जिसमें मुझसे मेरा बयान और वॉइस सैंपल मांगा गया है.'

शेखावत ऑडियो क्लिप में अपना नाम घसीटे जाने की शुरुआत से ही मामले से किनारा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने शुक्रवार को ही इस ऑडियो क्लिप में अपना नाम होने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि ऑडियो क्लिप में आवाज़ उनकी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा था कि 'मैं बहुत से संजय सिंह को जानते हैं, यहां किस संजय सिंह की बात हो रही है?'

शेखावत पर इतनी भिड़ंत क्यों?

राज्य में शेखावत और गहलोत की भिड़ंत पुरानी है, लेकिन राजस्थान कांग्रेस के दो धड़ों में बंट जाने की घटना में शेखावत का नाम आने के पीछे भी कोई वजह हो सकती है. 2019 के लोकसभा चुनावों में शेखावत ने अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को जोधपुर सीट से वोटों के बड़े अंतर से हराया था. लोकसभा चुनावों में जोधपुर में शेखावत और वैभव गहलोत आमने-सामने थे. अपने बेटे को जिताने के लिए अशोक गहलोत ने यहां पर जमकर प्रचार किया था. यहां तक कि उस वक्त उनके विरोधियों ने कहा था कि गहलोत ने इन चुनावों में और कहीं ध्यान नहीं दिया, अपने बेटे की सीट पर ही प्रचार करते रहे और उन्होंने अपनी ज्यादातर रैलियां इसी सीट पर कीं. हालांकि, फिर भी शेखावत ने उन्हें लगभग 2.7 लाख वोटों के अंतर से हराया था. 

वहीं, शेखावत की मौजूदगी को इस पूरे मामले में जितना वजन दिया जा रहा है, उन्हें वसुंधरा राजे का उत्तराधिकारी भी माना जा सकता है. राजे पर बीजेपी की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल ने इस पूरे मामले में चुप रहने का आरोप लगाया है. बेनीवाल ने यह तक कहा था कि राजे गहलोत सरकार को बचाना चाहती हैं और उन्होंने कांग्रेस के बागी विधायकों से गहलोत सरकार को समर्थन देने को कहा था. ऐसे में हो सकता है कि राजे को लेकर उठ रहे सवालों के बीच शेखावत की ओर से पर्दे के पीछे से स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की जा रही हो. 

शेखावत का पोर्टफोलियो

शेखावत 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए लिए चुने गए थे. 2019 में वो दोबारा लोकसभा सांसद बने. पहले कार्यकाल में वित्त मंत्रालय और जल संसाधन की समितियों सहित कई समितियों के सदस्य रहे. 2019 में उन्हें केंद्रीय जल संसाधन मंत्री बनाया गया. राजस्थान में वो अच्छी पकड़ रखते हैं और अब उनकी सक्रियता उनकी नई भूमिका की ओर इशारा कर रही है.

Video: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को SOG का नोटिस​

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