कैसे तैयार होता है हमारा बजट?
वित्त मंत्रालय महीनों पहले से बजट की तैयारी शुरू कर देता है. बजट बनाने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है और चूंकि इसी सुरक्षा का खयाल सबसे ज्यादा रखना पड़ता है, इसलिए वित्त मंत्रालय यह प्रक्रिया कई चरणों में करता है और इसकी सुरक्षा के लिए खुफिया एजेंसियों की मदद भी ली जाती है.
1. वित्त मंत्रालय अगस्त के महीने से ही बजट की तैयारियां शुरू कर देता है. सबसे पहले मंत्रालय की ओर से हर मंत्रालयों और विभागों को एक सर्कुलर भेजा जाता है, जिसमें उनकी जरूरतों और योजनाओं के बारे में जानकारी मांगी जाती है. ये मंत्रालय और विभाग इस सर्कुलर के जवाब में बताते हैं कि उनको किस-किस काम के लिए कितने-कितने फंड की जरूरत है. इसके हिसाब से ही बजट का खाका तैयार होता है.
2. सरकार बजट के लिए बस अपने मंत्रालयों और विभागों से ही बात नहीं करती, अर्थव्यवस्था की जरूरत और विज़न को समझने के लिए वो अगले चरण में कई बड़ी बैठकें करती है, जिसके तहत उद्योगपतियों, किसानों, मजदूर यूनियनों और ऐसे ही दूसरे समूहों के साथ बैठकें की जाती हैं.
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3. अब बारी आती है, बजट तैयार करने की. बजट से एक हफ्ते पहले हलवा सेरेमनी होती है, जिसमें हलवा बनाकर सबका मुंह मीठा कराया जाता है.
4. इस सेरेमनी के बाद शुरू होती है 'लॉक-इन प्रक्रिया'. मंत्रालय की बजट तैयार करने वाली टीम के अधिकारी, टेक्नीशियन्स, स्टेनोग्राफर्स यानी जितने लोग भी इस प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं, वो वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में जुटते हैं और इन्हें यहां 'लॉक' कर दिया जाता है. इन सभी लोगों का सात दिनों तक बाहर की दुनिया से कोई मतलब नहीं होता है. यह टीम मंत्रालय के बेसमेंट में ही रहकर बजट तैयार करती है.
5. यहां पर बजट की जानकारी लीक न हो, इसके लिए कई इंतजाम किए जाते हैं. इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारी सबकी मूवमेंट्स और फोन कॉल्स पर नजर रखते हैं. कोई भी जानकारी लीक न हो इसके लिए यहां एक फोन जैमर इंस्टॉल किया जाता है, जो कॉल्स वगैरह ब्लॉक कर देता है. बजट की टीम को किसी भी तरीके से अपने परिवारवालों तक से संपर्क करने की अनुमति नहीं होती है. फोन, ई-मेल सबकुछ बंद कर दिया जाता है.
6. बजट तैयार हो जाने के बाद बजट प्रिंट होता है. हालांकि, इस बार कोविड के चलते बजट पेपरलेस हो गया है लेकिन सामान्य प्रक्रिया के तहत बजट पेश होने से दो दिन पहले नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में आधी रात को बजट की छपाई होती है. इसकी सुरक्षा का ध्यान सबसे ज्यादा रखा जाता है. बजट वाले दिन इसे ट्रक से संसद ले जाया जाता है, जहां गार्ड्स इसकी स्कैनिंग करते हैं. इसके बाद फिर यह बजट वित्त मंत्री पूरे देश के सामने पेश करती हैं.
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती