संयुक्त राष्ट्र ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट 'UNCTAD ट्रेड एंड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2019' में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर मंदी का साया गहराता जा रहा है और 2020 मंदी का साल होगा. यह खतरा बढ़ता जा रहा है. यह भारत के लिए बुरी खबर है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आर्थिक विकास की रफ्तार में गिरावट का असर पूरे एशिया की अर्थव्यवस्था पर होगा. कार्पोरेट टैक्स में कटौती और उद्योग जगत को राहत के ऐलान के बाद कुछ दिन स्टाक मार्केट में रिकार्ड उछाल दिखा. लगा कि अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावना बढ़ रही है, लेकिन अब यह गलत साबित होता दिख रहा है.
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार 2018 की 3 प्रतिशत से घटकर 2019 में 2.3 प्रतिशत रह जाएगी.
सन 2020 में अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है. कई उभरती अर्थव्यवस्थाएं मंदी में फंस चुकी हैं. जर्मनी और यूनाईटेड किंगडम भी आर्थिक मंदी के करीब हैं. साफ है इस स्लोडाउन का असर सबसे ज्यादा भारत के निर्यात पर पड़ेगा.
बुनियादी सेक्टर में सरकार के बड़े प्रोजेक्टों पर भी आर्थिक मंदी का असर
सरकार ने उद्योग जगत को कार्पोरेट टैक्स में भारी कटौती कर राहत देने के ऐलान किया है लेकिन संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इससे अर्थव्यवस्था में प्रोडक्टिव इन्वेस्टमेंट नहीं आता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में भारत में अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटने का अनुमान है. जीएसटी से कलेक्शन के टारगेट कम हो रहे हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन का असर पूरे एशिया पर पड़ेगा.
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साफ है, खतरा बड़ा है और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मंदी से भारत अछूता नहीं रहेगा.
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