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This Article is From Jan 03, 2017

जनरल डायर को मारने वाले शहीद उधम सिंह के परपोते को नहीं मिल रही चपरासी की नौकरी

जनरल डायर को मारने वाले शहीद उधम सिंह के परपोते को नहीं मिल रही चपरासी की नौकरी
शहीद उधम सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: देश में हर ओर राष्ट्रवाद की बातें सुनने को मिलती हैं. लेकिन दूसरी ओर शहीद उधम सिंह के परपोते पंजाब सरकार में नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 10 साल पहले उन्हें नौकरी देने का वादा किया था जो अब तक पूरा नहीं हुआ. अपनी आवाज अब वह पीएम नरेंद्र मोदी तक पहुंचाना चाहते हैं.

सरकारों ने नहीं दिया साथ
हालांकि कांग्रेस सरकार की ओर से किया गया यह वादा पूरा नहीं सका क्योंकि राज्य में कांग्रेस पार्टी करीब 10 साल से सत्ता से बाहर है. उधम सिंह की बड़ी बहन आस कौर के प्रपौत्र जग्गा सिंह द्वारा शिरोमणि अकाली दल और भाजपा सरकार से बार..बार अपील किए जाने का अभी कोई परिणाम नहीं निकला है.

उधम सिंह ने लंदन जाकर डायर से लिया था बदला
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में खूनी दिवस के दौरान उधम सिंह वहां उपस्थित थे. बाद में करीब 21 साल बाद उन्होंने लंदन में माइकल ओ डायर की हत्या कर इस नरसंहार का बदला लिया था. जलियांवाला बाग में कत्लेआम के समय माइकल ओ डायर ही पंजाब का गवर्नर था. बाद में उधम सिंह को हत्या के आरोप में लंदन में फांसी दे दी गई थी.

बेहद गरीबी के हालात में गुजर रहे हैं जग्गा सिंह के दिन
जग्गा सिंह इस समय अपने परिवार के छह सदस्यों के साथ बेहद गरीबी में जीवन गुजार रहे हैं. इसके अलावा उन्हें 60 वर्षीय पिता जीत सिंह की देखभाल भी करनी पड़ती है. वह एक दिहाड़ी मजदूर हैं.

2500 रुपये में कपड़े की दुकान पर काम करते हैं
30 वर्षीय जग्गा सिंह दसवीं तक पढ़े हैं और 2,500 रपये मासिक की तनख्वाह पर संगूर की एक कपड़ा दुकान में काम करते हैं. उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह उनके पत्रों पर ध्यान देंगे.

जंतर-मंतर तक ले आए हैं विरोध की आवाज
सिंह अब इस कड़ाके की और धुंध भरी सर्दी में अपने विरोध को यहां जंतर मंतर तक ले आए हैं. उन्हें उम्मीद है कि अब राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता के गलियारों में उनकी आवाज जरूर सुनी जाएगी. हालांकि अभी तक केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा अथवा पंजाब में सत्तारूढ़ शिअद-भाजपा से उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है.

वर्तमान सरकार ने कहा-नियुक्ति पत्र कांग्रेस ने दिया
जग्गा ने कहा कि 2006 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने उन्हें नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन सरकार बदल गई और उन्हें अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है. उन्होंने कहा, हमने कई बार पंजाब के वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा से मुलाकात की. कई मुलाकातों के बाद उन्होंने हमें बताया कि हमारा मामला मुख्यमंत्री के सामने रखा गया था, लेकिन उन्होंने कहा कि वह हमारी मदद नहीं कर सकते क्योंकि उनका नियुक्ति पत्र कांग्रेस की अमरिंदर सरकार के समय जारी किया गया था, इसलिए उन्हें यह नौकरी नहीं दी जा सकती.

मौजूदा सरकार नौकरी देने को तैयार नहीं
जग्गा ने कहा कि अमरिंदर सिंह की ओर से पत्र जारी किये जाने के बाद उनके पिता ने उन्हें कोई नौकरी ‘‘चाहे वह चपरासी की ही हो’’ दिये जाने की मांग को लेकर उपजिलाधिकारी से मुलाकात की थी, लेकिन मौजूदा सरकार उन्हें नौकरी देने के लिए तैयार नहीं है.

भगवंत मान ने फोन उठाना बंद कर दिया
उन्होंने बताया कि इसके अलावा उन्होंने संगरूर से आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान से भी मुलाकात की. उन्होंने हमसे अपनी समस्या के बारे में एक चिट्ठी लिखने को कहा था, लेकिन बाद में उनके निजी सहायक ने बताया कि चूंकि वे लोग सत्ता में नहीं हैं, इसलिये उनके लिए कुछ नहीं कर सकते. बाद में उन्होंने हमारा फोन उठाना भी बंद कर दिया.

बाबा रामदेव ने भी भेजा पत्र
जग्गा के अनुसार, वह बाबा रामदेव से भी मिले, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री को योग गुरु की ओर से भेजे गए पत्र का भी कोई परिणाम नहीं निकला.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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