उद्धव सरकार ने लॉकडाउन के लिए तय किया ये पैमाना, स्वास्थ्य मंत्री बोले- अगले कुछ दिन होंगे अहम

स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने उनसे कहा था कि यदि अगले कुछ दिनों के दौरान महाराष्ट्र में रोजाना मामले 25000-30000 के बीच रहते हैं तो हमें कुछ कड़े कदम उठाने होंगे.

उद्धव सरकार ने लॉकडाउन के लिए तय किया ये पैमाना, स्वास्थ्य मंत्री बोले- अगले कुछ दिन होंगे अहम

Maharashtra Corona Cases Today : राज्य के 5 जिलों में हैं सर्वाधिक मामले

पुणे:

महाराष्ट्र में अगर कोरोना वायरस के नए मामले (Maharashtra Corona Virus New Cases) लगातार इसी रफ्तार से बढ़ते रहे तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राज्य में दोबारा लॉकडाउन लगाने के पक्ष में हैं. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने सोमवार को यह जानकारी दी. टोपे ने कहा कि अगर महाराष्ट्र को दूसरे लॉकडाउन से बचना है तो लोगों को कोविड-19 के सुरक्षा नियमों का पालन करना ही चाहिए.महाराष्ट्र में मुंबई के अलावा पुणे, नागपुर, नाशिक, अमरावती और नांदेड़ जैसे शहरों से लगातार हजारों की संख्या में नए मरीज मिल रहे हैं.

टोपे ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का मत है कि कुछ शहरों में यदि कोविड-19 के नए मामले बढ़ते रहते हैं तो लॉकडाउन लगाना जरूरी हो सकता है. टोपे दो दिन पहले वह मुख्यमंत्री से मिले थे. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनसे कहा था कि यदि अगले कुछ दिनों के दौरान महाराष्ट्र में रोजाना मामले 25000-30000 के बीच रहते हैं तो हमें कुछ कड़े कदम उठाने होंगे. उनका विचार था कि यदि आंकड़े बढ़ते रहेंगे तो हमें कुछ शहरों में लॉकडाउन लगाना होगा.

टोपे ने कहा,मैं लोगों से मुख्यमंत्री की चेतावनी पर सकारात्मक ढंग से ध्यान देने तथा लॉकडाउन से बचने के लिए कोविड-19 के नियमों जैसे मास्क लगाने, हाथ बार बार धोने और एक दूसरे के बीच दूरी बनाकर रखने की अपील करता हूं. टोपे के मुताबिक, केंद्र ने राज्यों से कहा है कि कोविशील्ड की दो खुराक के बीच 45 से 60 दिनों का फर्क होगा , हालांकि कोवैक्सीन की खुराकों के बीच अंतर पहले की तरह 28 दिन ही रहेगा.

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विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, कोविड-19 का ग्राफ अगले दो-तीन दिनों तक ऐसा ही रहेगा और उसके बाद उसमें गिरावट आएगी. उम्मीद है कि कोरोना के नए मामलों में फिर गिरावट देखने को मिलेगी. हालांकि देश के 60 फीसदी मामले अभी भी महाराष्ट्र से ही सामने आ रहे हैं. मौतों का आंकड़ा भी महाराष्ट्र में चिंताजनक स्तर पर बना हुआ है.