केरल पुलिस ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में दो साल पहले कन्नूर जिले में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी यतीश चंद्रा द्वारा तीन राहगीरों से जबरन उठक-बैठक कराने को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग से माफी मांगी है. आयोग को सौंपी रिपोर्ट में कन्नूर क्षेत्र के उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) ने माना है कि यह कार्रवाई ‘पूरी तरह से गलत' थी, लेकिन तत्कालीन जिला पुलिस प्रमुख चंद्रा ने अच्छे इरादे से ऐसा किया था क्योंकि लॉकडाउन से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न करने पर कोविड-19 महामारी के तेजी से फैलने की आशंका थी.
रिपोर्ट में डीआईजी ने संबंधित आईपीएस अधिकारी के कृत्य को माफ करने का भी अनुरोध किया है. इस मामले को लेकर विवाद पैदा हो गया था और यहां तक कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी इसकी आलोचना की थी. केरल पुलिस ने मार्च 2020 में हुई इस घटना को लेकर मीडिया में आई खबरों के आधार पर राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) द्वारा दर्ज मामले के संबंध में यह रिपोर्ट पेश की है.
सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें चंद्रा वालापट्टनम में दर्जी की एक दुकान के सामने एकत्र तीन युवकों से चिलचिलाती धूप में उठक-बैठक मरवाते नजर आए थे. आयोग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि एसएचआरसी के न्यायिक सदस्य के बैजूनाथ ने पुलिस को इस तरह के उपायों से दूर रहने का निर्देश दिया है.
बयान के मुताबिक, नाथ ने पुलिस को कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते समय पुलिस अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है. आयोग ने हालांकि, कोविड-19 के खिलाफ जंग में कानून प्रवर्तन अधिकारियों के प्रयासों की तारीफ की और कहा कि महामारी की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन का पालन सुनिश्चत करने में उन्होंने बेहतरीन काम किया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं