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अब यह बात भी सामने आ रही है कि निलंबन की घटना से दो महीना पहले दुर्गाशक्ति नागपाल ने नरेंद्र भाटी के भतीजे का बालू का ठेका भी रद्द कर दिया था जिसके बाद भाटी और उनके करीबी लोग उन्हें सबक सिखाने का मौका देख रहे थे।
इस बीच, लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि 41 मिनट में एसडीएम का निलंबन हो सकता है तो तीन महीने में धार्मिक स्थल के लिए इजाजत क्यों नहीं दिलवा पाए नरेन्द्र भाटी।
गौरतलब है कि मस्जिद के लिए नरेंद्र भाटी ने 50 हजार का चंदा दिया। मस्जिद के लिए पहली ईंट भी रखी और दीवार गिरने के सिर्फ 41 मिनट में एसडीएम को सस्पेंड करा दिया, लेकिन तीन महीने से बन रही मस्जिद के लिए इजाजत क्यों नहीं दिलवाई।
कांग्रेस प्रवक्ता धीरेंद्र सिंह ने कहा कि खुद भाटी ने ही मस्जिद के दीवार की ईंट रखी थी फिर क्यों नहीं परमीशन दिलवाई यानि कुछ गड़बड़ जरूर था।
कादलपुर गांव के इतिहास में सांप्रदायिक तनाव का कभी रिकार्ड नहीं रहा, लेकिन इस बात की गारंटी कौन लेगा कि सियासी फायदे के लिए नेता अपनी हरकतों से बाज आएंगे।
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