बारहवीं फेल आईपीएस! है न हैरान करने वाली बात. पर यह हकीकत है और यह अजूबा कर दिखाया है मुरैना के एक साधारण से परिवार के युवक ने, जिसका नाम है मनोज शर्मा. मनोज शर्मा आज मुम्बई में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को इन्हीं मनोज शर्मा पर लिखी किताब का विमोचन किया. अंग्रेजी में लिखी किताब का नाम है "12th fail" यह पुस्तक लिखी है अनुराग पाठक ने.
अनुराग पाठक 15 वर्षों तक मनोज शर्मा के रूम पार्टनर रहे हैं. किताब में शर्मा के व्यक्तित्व की अच्छाई और कमजोरी दोनों का वर्णन है, खासकर पढ़ाई में फिसड्डी होने के बावजूद ऊंची डिग्रियों को हासिल करने और मंजिल तक पहुंचने की जिद का. मनोज शर्मा में विफलताओं को मात देकर संघर्ष करते हुए लगातार आगे बढ़ने की जिद ही थी जो 12 वीं फेल होने के बाद भी आईपीएस बन गए.
लेखक अनुराग पाठक के मुताबिक मनोज शर्मा उनकी किताब के हीरो हैं और उन पर किताब लिखने का मकसद ही पढ़ाई और परीक्षा से डरने वाले विद्यार्थियों में हिम्मत भरना है, नई उम्मीद दिखाना है. खास बात कि अपनी विफलता को किस तरहं सफलता में बदला जा सकता है ये सीख मनोज शर्मा के जीवन से मिलती है.
12वीं में फेल होना ही मनोज शर्मा के लिए वरदान हो गया. हुआ यह कि उस वर्ष मुरैना में ऐसा एसडीएम आया था जिसने नकल पर पूरी तरह रोक लगा दी थी वर्ना मनोज शर्मा भी दूसरे विद्यार्थियों की तरह पास तो हो ही जाते. ऐसे हालात में अमूमन कोई भी विद्यार्थी उस एस डीएम को कोसता लेकिन मनोज शर्मा ने उसकी तरह बनने का ठान लिया और फिर जो संघर्ष का रास्ता चुना वह सफलता की मंजिल की तरफ बढ़ता गया. लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं था.राह में कांटे ही कांटे थे. पैसे की कमी सबसे बड़ी बाधा थी.
आर्थिक संकट को दूर करने के लिए शर्मा को इसके लिए बड़े लोगों के कुत्तों की देखभाल करनी पड़ी. लाइब्रेरी में काम करना पड़ा. लेकिन जिद को कभी मरने नहीं दिया. 12 वीं पास की, डिग्री ली और फिर मास कम्युनिकेशन में पीएचडी भी कर ली. सिविल सर्विस की परीक्षा में तीन बार फेल हुए. कहते हैं प्यार आदमी को कमजोर बना देता है लेकिन मनोज शर्मा का प्यार, श्रद्धा उनकी ताकत बन गई और फिर जिद के आगे जीत तो मिलनी ही थी.
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