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This Article is From Aug 18, 2019

इस मुद्दे पर ट्विटर पर भिड़े कैप्टन अमरिंदर और सुखबीर सिंह बादल

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल सतलज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मुद्दे को लेकर शनिवार को ट्विटर पर भिड़ गये

इस मुद्दे पर ट्विटर पर भिड़े कैप्टन अमरिंदर और सुखबीर सिंह बादल
1966 में पंजाब के पुनर्गठन के साथ शुरू हुआ था विवाद
नई दिल्ली:

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल सतलज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मुद्दे को लेकर शनिवार को ट्विटर पर भिड़ गये और दोनों ने खुद को राज्य के सबसे बड़े हितैषी के तौर पर पेश किया. इसकी शुरुआत तब हुई जब शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष बादल ने शुक्रवार को एसवाईएल मुद्दे पर नयी दिल्ली में हुई पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार के अधिकारियों की बैठक के मद्देनजर अपने ट्विटर हैंडल से मुख्यमंत्री को 'इस विवादास्पद मुद्दे को लेकर किसी भी दबाव में नहीं झुकने' के लिये चेतावनी देनी चाही.

इसके बाद मुख्यमंत्री सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर बादल को याद दिलाया कि उन्होंने ही पंजाब के हित की रक्षा की खातिर 2004 में अंतरराज्यीय जल बंटवारा समझौते को रद्द कर दिया था.

बता दें कि पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज यमुना के जल-बंटवारे को लेकर विवाद पिछले 50 साल से भी ज्यादा समय से गहराया हुआ है. पंजाब सरकार का कहना है कि राज्य में जल का स्तर बहुत कम है. अगर हम सतलुज-यमुना नहर के जरिए हरियाणा को पानी देते हैं तो पंजाब में पानी का संकट पैदा हो जाएगा. वहीं हरियाणा सरकार सतलुज के पानी पर अपना अधिकार जता रही है.

क्या है पूरा मामला
- 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के साथ विवाद शुरू
- 24 मार्च, 1976 - केंद्र सरकार का पानी बंटवारे का नोटिफिकेशन
- सतलुज, रावी और ब्यास नदी के पानी का बंटवारा होना था
- पंजाब ने इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
- 31 दिसंबर, 1981 - पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली
- मुद्दा राजनीतिक हुआ, अकाली दल ने फ़ैसले के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला
- 8 अप्रैल, 1982 - इंदिरा गांधी ने नहर की नींव रख दी
- पंजाब में आतंकवादियों ने भी इसे मुद्दा बनाया
- 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता
- 1990 तक 750 करोड़ रुपये की लागत से नहर का एक बड़ा हिस्सा तैयार
- 15 जनवरी, 2002 - पंजाब को नहर का बाकी हिस्सा बनाने का निर्देश
- 2004 में पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट्स एक्ट 2004 पास
- पंजाब सरकार के फ़ैसले को यूपीए सरकार ने राष्ट्रपति की राय के लिए भेजा
- राष्ट्रपति ने ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के पास भेजा
- हरियाणा की पिछली हुड्डा सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द सुनवाई के लिए कहा
- इस मुद्दे पर  सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
- पंजाब कैबिनेट ने नहर पर खर्च हरियाणा का पैसा लौटाने का फ़ैसला किया
- जिन लोगों जमीन ली गई उन्हें जमीन लौटाने का फैसला
 

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