सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति को दिए गए आरक्षण पर विचार करने और जो जातियां उबर चुकी हैं उन्हें कोटे से बाहर करने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला मानवाधिकार के उल्लंघन का नहीं है इसलिए इसे सुना नहीं जा सकता। इस पर याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।
दरअसल ओपी शुक्ला नाम के याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि लोकुर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वक़्त वक़्त पर एसएसी-एसएसटी के तहत आरक्षण पाने वाली जातियों की समीक्षा की जानी चाहिए लेकिन सरकारों ने ऐसा नहीं किया। यही कारण है कि कई जातियां लगातार आरक्षण का फायदा उठा रही हैं।
याचिका में कुछ जातियों का हवाला भी दिया गया है और कहा गया है इन जातियों में कई को आरक्षण अब जरूरत नहीं है। लिहाज़ा इन्हें कोटे से हटाया जाए और नई जातियों को इस आरक्षण कोटे में शामिल किया जाना चाहिए। इसके लिए केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को पार्टी बनाया गया था।
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इस याचिका पर सुनवाई नहीं करेगा। अगर याचिकाकर्ता चाहे तो इस याचिका को वापस ले सकता है। इस पर याचिका को वापस ले लिया गया। गौरतलब है कि जाट समुदाय को ओबीसी कोटे में मिले आरक्षण को रद्द करते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार नई जातियों को शामिल तो कर रही है, लेकिन किसी को बाहर नहीं कर रही है।
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