अस्‍पताल में भर्ती मरीजों के आंकड़े से यह नहीं कह सकते कि दिल्‍ली में तीसरी लहर का 'पीक' खत्‍म हुआ : विशेषज्ञ

महामारी विशेषज्ञ डॉ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि महामारी की लहर के चरम का पता लगाने के लिए संक्रमण के दैनिक मामलों और संक्रमण दर का उपयोग किया जाना चाहिए.

अस्‍पताल में भर्ती मरीजों के आंकड़े से यह नहीं कह सकते कि दिल्‍ली में तीसरी लहर का 'पीक' खत्‍म हुआ : विशेषज्ञ

नई दिल्‍ली:

विशेषज्ञों का मानना है कि केवल अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के आंकड़े के आधार पर यह नतीजा नहीं निकाला जा सकता कि दिल्ली में कोविड महामारी की तीसरी लहर का चरम समाप्त हो चुका है. दिल्ली में महामारी के मामलों और संक्रमण दर में लगातार वृद्धि जारी है.शहर में अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों का अनुपात कम रहने के मद्देनजर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार को कहा था कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या का कम होना यह दर्शाता है कि महामारी की मौजूदा लहर अपने चरम पर पहुंच चुकी है और आने वाले दिनों में संक्रमण के मामलों में कमी आएगी.

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हालांकि, महामारी विशेषज्ञ डॉ चंद्रकांत लहरिया के मुताबिक, केवल अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के आंकड़े के आधार पर यह नतीजा नहीं निकाला जा सकता कि महामारी की लहर का चरम समाप्त हो चुका है. उन्होंने कहा कि इसका कारण यह है कि लोग बीमार होने के कुछ दिन बाद ही अस्पताल में भर्ती होते हैं, इसलिए ''इसमें 6-7 दिन का फर्क रहता है.'' लहरिया कहा, ''महामारी की लहर के चरम का पता लगाने के लिए संक्रमण के दैनिक मामलों और संक्रमण दर का उपयोग किया जाना चाहिए. अस्पताल में भर्ती होना उसमें दाखिल होने के मानदंडों पर आधारित होता है (एक खास क्षेत्र में). यद्यपि, अस्पताल में भर्ती होने वालों का आंकड़ा जनस्वास्थ्य योजना की बेहतरी के लिए उपयोग किया जा सकता है लेकिन लहर के चरम का पता लगाने के लिए नहीं.''

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वहीं, जोधपुर के राष्ट्रीय असंचारी रोग कार्यान्वयन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ अरुण शर्मा ने कहा, ''महामारी विज्ञान के अनुसार, लहर के चरम का पता संक्रमण की दर, संक्रमित लोगों और जोखिम वाली आबादी की संख्या की मदद से लगाया जाता है.'' उन्होंने कहा कि संक्रमण दर एक बेहद अहम बिंदु है क्योंकि जांच से संबंधित नमूनों की संख्या के आधार पर संक्रमण दर कम या ज्यादा हो सकती है.

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