रॉबर्ट वाड्रा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
संसद में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा द्वारा फेसबुक पर की गई टिप्पणी को लेकर सत्ता पक्ष ने आज उन्हें संसद में बुलाकर दंडित करने की मांग की, जिसके चलते सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ और कार्यवाही सवा 12 बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं राज्यसभा की कार्यवाही भी बार-बार स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
शून्यकाल में भाजपा के प्रहलाद जोशी ने वाड्रा की टिप्पणी को संसद पर हमला बताते हुए कहा कि इससे संसद की गरिमा को ठेस पहुंची है। उन्होंने मांग की कि वाड्रा को तुरंत सदन में बुलाकर उन्हें उनकी टिप्पणी के लिए दंडित किया जाए।
उन्होंने इस मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजे जाने की मांग की।
सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसका कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा कि वाड्रा सदन के सदस्य नहीं हैं इसलिए जोशी की टिप्पणी को कार्यवाही से निकाला जाए।
सदन में मौजूद सोनिया गांधी, जोशी की इस टिप्पणी पर उद्वेलित नजर आईं और अपनी पार्टी के सदस्यों से कुछ कहती देखी गईं।
वाड्रा ने 21 जुलाई को फेसबुक पर संसद सत्र के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा था, संसद शुरू हो गई है और साथ ही शुरू हो गई है उनकी शुद्र विभाजनकारी राजनीति.... भारत की जनता बेवकूफ नहीं है। खेद है कि भारत का नेतृत्व ऐसे तथाकथित नेता कर रहे हैं।
ललित मोदी प्रकरण में विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तथा व्यापमं मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग को लेकर पहले से ही आसन के समक्ष नारेबाजी कर रहे कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य वाड्रा संबंधी टिप्पणी से और अधिक आक्रोशित हो उठे।
इससे पहले एक बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे शुरू होने पर कांग्रेस सहित कई विपक्षी सदस्यों ने पोस्टरों सहित आसन के समक्ष आकर सुषमा, वसुंधरा और चौहान के इस्तीफे की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। इसी समय सत्ता पक्ष के कई सदस्य हाथों में पर्चे लेकर अग्रिम पंक्ति में आ गए। पर्चे पर लिखा था, 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, किसान की जमीन दामाद को बांटे', 'कांग्रेस का राज है जहां, घोटालों की बाढ़ है वहां'।
लोकसभा अध्यक्ष ने हालांकि कल विपक्ष को चेतावनी दी थी कि सदस्य सदन में काली पट्टी बांधकर नहीं आएं और न ही पोस्टर और पर्चे दिखाएं। लेकिन आज विपक्ष ही नहीं बल्कि सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भी विभिन्न नारे लिखे पर्चे लहराए।
इससे पहले आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर भी यह मामला उठा और विपक्ष के हंगामे के बीच भाजपा के मुख्य सचेतक अर्जुन राम मेघवाल ने वाड्रा की कथित फेसबुक टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि वह संसद के बारे में फेसबुक पर लिख रहे हैं और हम कैसे चुप रह सकते हैं। इस बारे में हमारा विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव स्वीकार किया जाए।
ललित मोदी और व्यापमं मामले को लेकर सदन की कार्यवाही आज लगातार दूसरे दिन भी बाधित हुई और सदन में आज भी कोई कामकाज नहीं हो सका।
वहीं राज्यसभा में भी हंगामा होता रहा। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और कांग्रेस के आनंद शर्मा लगातार विरोध जताते रहे और अरुण जेटली ने उठकर जवाब देने की भी कोशिश की, लेकिन हंगामे में किसी को भी सुन पाना बेहद मुश्किल था।
कार्यवाही स्थगित होने से पहले राज्यसभा के उपसभापति ने मंत्रियों के इस्तीफे की विपक्ष की मांग पर अपनी असमर्थता ज़ाहिर की। उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा, चर्चा कराना उनके अधिकार के दायरे में है, लेकिन विपक्ष की मांग चर्चा के साथ इस्तीफे पर वह खुद अमल नहीं कर सकते। यह सरकार के दायरे का फैसला है।
शून्यकाल में भाजपा के प्रहलाद जोशी ने वाड्रा की टिप्पणी को संसद पर हमला बताते हुए कहा कि इससे संसद की गरिमा को ठेस पहुंची है। उन्होंने मांग की कि वाड्रा को तुरंत सदन में बुलाकर उन्हें उनकी टिप्पणी के लिए दंडित किया जाए।
उन्होंने इस मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजे जाने की मांग की।
सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसका कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा कि वाड्रा सदन के सदस्य नहीं हैं इसलिए जोशी की टिप्पणी को कार्यवाही से निकाला जाए।
सदन में मौजूद सोनिया गांधी, जोशी की इस टिप्पणी पर उद्वेलित नजर आईं और अपनी पार्टी के सदस्यों से कुछ कहती देखी गईं।
वाड्रा ने 21 जुलाई को फेसबुक पर संसद सत्र के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा था, संसद शुरू हो गई है और साथ ही शुरू हो गई है उनकी शुद्र विभाजनकारी राजनीति.... भारत की जनता बेवकूफ नहीं है। खेद है कि भारत का नेतृत्व ऐसे तथाकथित नेता कर रहे हैं।
ललित मोदी प्रकरण में विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तथा व्यापमं मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग को लेकर पहले से ही आसन के समक्ष नारेबाजी कर रहे कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य वाड्रा संबंधी टिप्पणी से और अधिक आक्रोशित हो उठे।
इससे पहले एक बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे शुरू होने पर कांग्रेस सहित कई विपक्षी सदस्यों ने पोस्टरों सहित आसन के समक्ष आकर सुषमा, वसुंधरा और चौहान के इस्तीफे की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। इसी समय सत्ता पक्ष के कई सदस्य हाथों में पर्चे लेकर अग्रिम पंक्ति में आ गए। पर्चे पर लिखा था, 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, किसान की जमीन दामाद को बांटे', 'कांग्रेस का राज है जहां, घोटालों की बाढ़ है वहां'।
लोकसभा अध्यक्ष ने हालांकि कल विपक्ष को चेतावनी दी थी कि सदस्य सदन में काली पट्टी बांधकर नहीं आएं और न ही पोस्टर और पर्चे दिखाएं। लेकिन आज विपक्ष ही नहीं बल्कि सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भी विभिन्न नारे लिखे पर्चे लहराए।
इससे पहले आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर भी यह मामला उठा और विपक्ष के हंगामे के बीच भाजपा के मुख्य सचेतक अर्जुन राम मेघवाल ने वाड्रा की कथित फेसबुक टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि वह संसद के बारे में फेसबुक पर लिख रहे हैं और हम कैसे चुप रह सकते हैं। इस बारे में हमारा विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव स्वीकार किया जाए।
ललित मोदी और व्यापमं मामले को लेकर सदन की कार्यवाही आज लगातार दूसरे दिन भी बाधित हुई और सदन में आज भी कोई कामकाज नहीं हो सका।
वहीं राज्यसभा में भी हंगामा होता रहा। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और कांग्रेस के आनंद शर्मा लगातार विरोध जताते रहे और अरुण जेटली ने उठकर जवाब देने की भी कोशिश की, लेकिन हंगामे में किसी को भी सुन पाना बेहद मुश्किल था।
कार्यवाही स्थगित होने से पहले राज्यसभा के उपसभापति ने मंत्रियों के इस्तीफे की विपक्ष की मांग पर अपनी असमर्थता ज़ाहिर की। उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा, चर्चा कराना उनके अधिकार के दायरे में है, लेकिन विपक्ष की मांग चर्चा के साथ इस्तीफे पर वह खुद अमल नहीं कर सकते। यह सरकार के दायरे का फैसला है।
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