गुजरते वर्ष में कई जानीमानी हस्तियां हमसे हमेशा के लिए दूर हो गईं...
नई दिल्ली:
गुजरते वर्ष में कई जानीमानी हस्तियां हमसे हमेशा के लिए दूर हो गईं और पीछे रह गईं उनकी यादें. नब्बे के दशक में राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की राजनीति के समय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ नेता एबी बर्धन का दो जनवरी को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. उनका पूरा नाम अध्रेंदू भूषण बर्धन था.
मुफ्ती मोहम्मद सईद
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का संक्षिप्त बीमारी के बाद 7 जनवरी को निधन हो गया. सईद को अच्छी खासी मुस्लिम आबादी वाले राज्य में भाजपा के साथ लगभग असंभव समझे जाने वाली गठबंधन सरकार बनाने का शिल्पकार माना जाता है. एक गूढ़ वकील से लेकर देश के अब तक के एकमात्र मुस्लिम गृहमंत्री बनने तक का सफर तय करने वाले सईद ने एक मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह राष्ट्रीय राजनीति और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अपने लिए एक अलग मुकाम बनाया था.
रवींद्र कालिया
हिन्दी के प्रख्यात कहानीकार एवं कई साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादक रह चुके रवींद्र कालिया का 9 जनवरी को 78 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. कालिया को साठोत्तरी हिन्दी कहानी में एक सशक्त कहानीकार के रूप में जाना जाता है. उनकी ‘नौ साल छोटी पत्नी’ कहानी काफी चर्चित हुई. कुछ साल पहले आई उनकी आत्मकथा रूपी रचना ‘गालिब छूटी शराब’ भी काफी सराही गई. कालिया धर्मयुग सहित कई पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे. वह वागर्थ और नया ज्ञानोदय पत्रिका के संपादक भी रह चुके थे. वह भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक भी थे.
बलराम जाखड़
तीन फरवरी को कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता एवं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ का निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे. जाखड़ 1980 से 1989 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे. इस दौरान उन्होंने संसद संग्रहालय की स्थापना में योगदान दिया.
सुधीर तैलंग
समकालीन भारतीय राजनीति को हास्य-व्यंग्य के साथ खूबसूरती से चित्रित करने वाले जानेमाने कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का 6 फरवरी को 55 साल की उम्र में निधन हो गया. हिंदुस्तान टाइम्स, द इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया समेत कई अखबारों में काम कर चुके तैलंग को 2004 में पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया था. कार्टूनिस्ट के तौर पर उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, पी वी नरसिंहराव, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी समेत कई राजनेताओं पर व्यंग्य-चित्र बनाए.
निदा फाजली
‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता’ और ‘होश वालों को खबर क्या’ जैसी गजलों से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले मशहूर शायर और गीतकार निदा फाजली का 78 वर्ष की उम्र में आठ फरवरी को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. निदा फाजली नाम से लोकप्रिय हुए इस शायर का पूरा नाम मुकतिदा हसन निदा फाजली था. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया था. फाजली को उर्दू और हिंदी में गजलों, नज्मों और दोहों के लिए आम बोलचाल की भाषा के अलग तरह से इस्तेमाल और खूबसूरती से उन्हें पेश करने के लिए जाना जाता है.
बुतरस घाली
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बुतरस घाली का 16 नवंबर निधन हो गया. घाली 1992 से 1996 तक संयुक्त राष्ट्र के महासचिव रहे.
पीए संगमा
पूर्वोत्तर से पहले लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा का चार मार्च को निधन हो गया. संगमा राजनीति में ऐसे कद के नेता माने जाते थे, जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल को चुनौती दी थी. बाद में वह प्रणव मुखर्जी के खिलाफ भाजपा के समर्थन से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी बने.
केजी सुब्रह्मण्यम
भारतीय आधुनिक कला के प्रणेताओं में शामिल प्रसिद्ध कलाकार केजी सुब्रह्मण्यम का 29 जून को 92 साल की उम्र में निधन हो गया. छह दशक से ज्यादा लंबे करियर में बहुआयामी प्रतिभा के धनी सुब्रह्मण्यम ने चित्रकार, मूर्तिकार, भित्ति चित्रकार का किरदार जिया और बच्चों की किताबें भी लिखीं. उन्हें 2012 में पद्मविभूषण, 2006 में पद्मभूषण और 1975 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
एसएच रजा
आधुनिक भारतीय कलाकार एसएच रजा का 23 जुलाई को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. 94 वर्ष के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कलाकार थे और उनको पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. वह 1983 में ललित कला अकादमी के फैलो निर्वाचित हुए थे.
महाश्वेता देवी
प्रख्यात लेखिका और समाज के दबे कुचले और वंचित वर्गों की पैरोकार महाश्वेता देवी का 28 जुलाई को निधन हो गया. वह 91 वर्ष की थीं. साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कारों से सम्मानित महाश्वेता देवी ने आदिवासियों और ग्रामीण क्षेत्र के वंचितों के कल्याण के लिए अथक कार्य किया था.
शिमोन पेरेज
इस्राइल-फलस्तीन के बीच शांति समझौता कराने के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित इस्राइल के पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री शिमोन पेरेज का 28 सितंबर को निधन हो गया.
फिदेल कास्त्रो
छोटे से क्यूबा को शक्तिशाली पूंजीवादी अमेरिका के पैर का कांटा बनाने वाले गुरिल्ला क्रांतिकारी एवं कम्युनिस्ट नेता फिदेल कास्त्रो का 26 नवंबर को निधन हो गया. जैतून के रंग की वर्दी, बेतरतीब दाढ़ी और सिगार पीने के अपने अंदाज के लिए मशहूर फिदेल ने अपने देश में पैदा होने वाले असहमति के सुरों पर कड़ा शिकंजा बनाए रखा और वाशिंगटन की मर्जी के विपरीत चलकर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई.
जे जयललिता
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का पांच दिसंबर को निधन हो गया. तीन दशकों से तमिलनाडु की राजनीति का एक ध्रुव रहीं और गरीबों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने वाली लोकप्रिय नेता जयललिता ने इसी साल विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी अन्नाद्रमुक को शानदार जीत दिलाई थी.
महाराष्ट्र में लोक साहित्य और भक्ति परम्परा पर अपने व्यापक शोध के लिए पहचाने जाने वाले लेखक आरसी ढेरे, मशहूर कवि और पत्रकार नीलाभ अश्क, व्यंग्यकार और लेखक चो रामास्वामी, एयर इंडिया की सबसे पहली एयरहोस्टस में से एक गोदरेज परमेश्वर, हिंदी के प्रख्यात लेखक हृदयेश मेहरोत्रा, भारत के मुख्य पिस्टल कोच सैयद वाजिद अली तथा विख्यात पर्यावरणविद् और जल संरक्षणवादी अनुपम मिश्र ने भी साल 2016 में इस संसार को विदा कर दिया.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मुफ्ती मोहम्मद सईद
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का संक्षिप्त बीमारी के बाद 7 जनवरी को निधन हो गया. सईद को अच्छी खासी मुस्लिम आबादी वाले राज्य में भाजपा के साथ लगभग असंभव समझे जाने वाली गठबंधन सरकार बनाने का शिल्पकार माना जाता है. एक गूढ़ वकील से लेकर देश के अब तक के एकमात्र मुस्लिम गृहमंत्री बनने तक का सफर तय करने वाले सईद ने एक मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह राष्ट्रीय राजनीति और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अपने लिए एक अलग मुकाम बनाया था.
रवींद्र कालिया
हिन्दी के प्रख्यात कहानीकार एवं कई साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादक रह चुके रवींद्र कालिया का 9 जनवरी को 78 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. कालिया को साठोत्तरी हिन्दी कहानी में एक सशक्त कहानीकार के रूप में जाना जाता है. उनकी ‘नौ साल छोटी पत्नी’ कहानी काफी चर्चित हुई. कुछ साल पहले आई उनकी आत्मकथा रूपी रचना ‘गालिब छूटी शराब’ भी काफी सराही गई. कालिया धर्मयुग सहित कई पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे. वह वागर्थ और नया ज्ञानोदय पत्रिका के संपादक भी रह चुके थे. वह भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक भी थे.
बलराम जाखड़
तीन फरवरी को कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता एवं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ का निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे. जाखड़ 1980 से 1989 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे. इस दौरान उन्होंने संसद संग्रहालय की स्थापना में योगदान दिया.
सुधीर तैलंग
समकालीन भारतीय राजनीति को हास्य-व्यंग्य के साथ खूबसूरती से चित्रित करने वाले जानेमाने कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का 6 फरवरी को 55 साल की उम्र में निधन हो गया. हिंदुस्तान टाइम्स, द इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया समेत कई अखबारों में काम कर चुके तैलंग को 2004 में पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया था. कार्टूनिस्ट के तौर पर उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, पी वी नरसिंहराव, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी समेत कई राजनेताओं पर व्यंग्य-चित्र बनाए.
निदा फाजली
‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता’ और ‘होश वालों को खबर क्या’ जैसी गजलों से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले मशहूर शायर और गीतकार निदा फाजली का 78 वर्ष की उम्र में आठ फरवरी को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. निदा फाजली नाम से लोकप्रिय हुए इस शायर का पूरा नाम मुकतिदा हसन निदा फाजली था. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया था. फाजली को उर्दू और हिंदी में गजलों, नज्मों और दोहों के लिए आम बोलचाल की भाषा के अलग तरह से इस्तेमाल और खूबसूरती से उन्हें पेश करने के लिए जाना जाता है.
बुतरस घाली
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बुतरस घाली का 16 नवंबर निधन हो गया. घाली 1992 से 1996 तक संयुक्त राष्ट्र के महासचिव रहे.
पीए संगमा
पूर्वोत्तर से पहले लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा का चार मार्च को निधन हो गया. संगमा राजनीति में ऐसे कद के नेता माने जाते थे, जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल को चुनौती दी थी. बाद में वह प्रणव मुखर्जी के खिलाफ भाजपा के समर्थन से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी बने.
केजी सुब्रह्मण्यम
भारतीय आधुनिक कला के प्रणेताओं में शामिल प्रसिद्ध कलाकार केजी सुब्रह्मण्यम का 29 जून को 92 साल की उम्र में निधन हो गया. छह दशक से ज्यादा लंबे करियर में बहुआयामी प्रतिभा के धनी सुब्रह्मण्यम ने चित्रकार, मूर्तिकार, भित्ति चित्रकार का किरदार जिया और बच्चों की किताबें भी लिखीं. उन्हें 2012 में पद्मविभूषण, 2006 में पद्मभूषण और 1975 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
एसएच रजा
आधुनिक भारतीय कलाकार एसएच रजा का 23 जुलाई को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. 94 वर्ष के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कलाकार थे और उनको पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. वह 1983 में ललित कला अकादमी के फैलो निर्वाचित हुए थे.
महाश्वेता देवी
प्रख्यात लेखिका और समाज के दबे कुचले और वंचित वर्गों की पैरोकार महाश्वेता देवी का 28 जुलाई को निधन हो गया. वह 91 वर्ष की थीं. साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कारों से सम्मानित महाश्वेता देवी ने आदिवासियों और ग्रामीण क्षेत्र के वंचितों के कल्याण के लिए अथक कार्य किया था.
शिमोन पेरेज
इस्राइल-फलस्तीन के बीच शांति समझौता कराने के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित इस्राइल के पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री शिमोन पेरेज का 28 सितंबर को निधन हो गया.
फिदेल कास्त्रो
छोटे से क्यूबा को शक्तिशाली पूंजीवादी अमेरिका के पैर का कांटा बनाने वाले गुरिल्ला क्रांतिकारी एवं कम्युनिस्ट नेता फिदेल कास्त्रो का 26 नवंबर को निधन हो गया. जैतून के रंग की वर्दी, बेतरतीब दाढ़ी और सिगार पीने के अपने अंदाज के लिए मशहूर फिदेल ने अपने देश में पैदा होने वाले असहमति के सुरों पर कड़ा शिकंजा बनाए रखा और वाशिंगटन की मर्जी के विपरीत चलकर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई.
जे जयललिता
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का पांच दिसंबर को निधन हो गया. तीन दशकों से तमिलनाडु की राजनीति का एक ध्रुव रहीं और गरीबों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने वाली लोकप्रिय नेता जयललिता ने इसी साल विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी अन्नाद्रमुक को शानदार जीत दिलाई थी.
महाराष्ट्र में लोक साहित्य और भक्ति परम्परा पर अपने व्यापक शोध के लिए पहचाने जाने वाले लेखक आरसी ढेरे, मशहूर कवि और पत्रकार नीलाभ अश्क, व्यंग्यकार और लेखक चो रामास्वामी, एयर इंडिया की सबसे पहली एयरहोस्टस में से एक गोदरेज परमेश्वर, हिंदी के प्रख्यात लेखक हृदयेश मेहरोत्रा, भारत के मुख्य पिस्टल कोच सैयद वाजिद अली तथा विख्यात पर्यावरणविद् और जल संरक्षणवादी अनुपम मिश्र ने भी साल 2016 में इस संसार को विदा कर दिया.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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