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This Article is From Nov 05, 2020

देश की सीमाओं की शुचिता को भंग नहीं होने देंगे, चाहे इसके लिए कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े : राजनाथ सिंह

1965 और 1971 के युद्धों में हार ने पाकिस्तान पर शासन करने वालों को बता दिया कि वो भारत से पूर्ण स्तर पर युद्ध करने की स्थिति में नहीं है.

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देश की सीमाओं की शुचिता को भंग नहीं होने देंगे, चाहे इसके लिए कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े : राजनाथ सिंह
नई दिल्ली:

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा है कि हम भारत की सीमाओं की शुचिता को भंग नहीं होने देंगे, फिर चाहे इसके लिए हमें कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े. रक्षा मंत्री ने यह बात एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही. बंगाल की खाड़ी में भारत समेत कई देशों की संयुक्त मिलिट्री एक्सरसाइज पर राजनाथ सिंह ने कहा, "3 नवंबर से बंगाल की खाड़ी में मालाबार एक्सरसाइज 'चल रही है, जिसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भाग ले रहे हैं. यह अभ्यास भारत-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pecific Region) के सभी देशों को सुरक्षित महसूस कराता है.

1965 और 1971 में, भारत और पाकिस्तान के बीच दो युद्ध हुए जिसमें पाकिस्तान की हार हुई.  इन युद्धों में हार ने पाकिस्तान पर शासन करने वालों को बता दिया कि वो भारत से पूर्ण स्तर पर युद्ध करने की स्थिति में नहीं है.

यह भी पढ़ें- लद्दाख सीमा विवाद को पूरे हुए 7 महीने, रक्षामंत्री ने कहा- 'भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध'

इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को एक सैन्य संगोष्ठी में एक बार फिर भारतीय संंप्रभुता को लेकर प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने कहा कि भारत 'एकतरफावाद और आक्रामकता' के सामने भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए दृढ़ है.

उन्होंने यह भी कहा कि 'भारत एक शांतिप्रिय देश है, हमारा मानना है कि मतभेदों को विवादों का रूप नहीं लेना चाहिए. हम बातचीत के माध्यम से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान को महत्व देते हैं.'
 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की शस्त्र पूजा

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