मुंबई:
मंगलवार को कुर्ला टर्मिनस से चली कामायनी एक्सप्रेस रात 11 बजे के बाद हरदा के पास हादसे का शिकार हो गई। जिन्होंने मुंबई से अपनों को हंसते - हंसते विदा किया था वे सुबह उनकी सलामती के लिए परेशान रहे।
मध्य रेलवे के लोकमान्य तिलक टर्मिनस, जहां से कामायनी एक्सप्रेस वाराणसी के लिए रवाना हुई थी, वहां रेल हादसे के बाद बनाई गई हेल्पलाइन की घंटी सुबह 6 बजे से जो बजनी शुरू हुई तो रुकने का नाम नहीं ले रही थी। लोग अपनों की खोज खबर और सलामती जानने के लिए लोग लगातार फोन कर रहे थे।
हेल्प डेस्क पर बैठे मुख्य टिकट इंस्पेक्टर पीआर मीणा ने बताया कि अपनों का हाल जानने के लिए लोग लगातार फोन कर रहे थे। कोई अपने पति का हाल जानना चाह रहा था तो कोई बहन और भाई का।
कुछ लोग फोन करने के बजाय खुद स्टेशन पहुंच गए, लेकिन हेल्प डेस्क के पास समुचित जानकारी न होने से वहां भी मायूसी हाथ लगी। अपने भाई को खोजने के लिए आए ज्ञानी साकेत तो सीधे हरदा के लिए रवाना हो गए। कुछ यही हाल विश्वराम यादव का भी था। इलाहबाद से जनता एक्सप्रेस से चले उनके चाचा का कोई अता-पता नहीं था, फोन भी बंद था।
कुछ खुशनसीब भी रहे जिनके अपनों की सलामती की खबर मिली। हालांकि बात नहीं हो पाई। अपने मामा को खोजने आए मोहम्मद इब्राहिम को हरदा की हेल्पलाइन से यह तो पता चल गया कि वे जख्मी हैं, लेकिन कहां और कौन से अस्पताल में हैं, इसकी जानकारी कोई नहीं दे पाया।
हादसे की वजह से मध्य रेलवे की कुछ गाड़ियां रद्द करनी पड़ीं। खासकर कामायनी एक्सप्रेस, जो दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर छूटने वाली थी, कुछ घंटे पहले ही अचानक रद्द कर दी गई। इससे महीनों पहले उसका टिकट कटा चुके यात्रियों में नाराजगी थी। कामायनी के अलावा 5 अन्य ट्रेनें रद्द कर दी गईं। हालाँकि 25 गाड़ियां भुसावल से नागपुर और नागपुर से इटारसी के रास्ते चलाई गईं। इस कारण गाड़ियां 5 से 6 घंटे देरी से चल रही थीं।
उत्तर भारत की तरफ जाने वाले रेल यात्री इसके पहले इटारसी में सिग्नल पैनल की खराबी से तकरीबन एक महीने की परेशानी भोग चुके हैं। अब हरदा के पास हुए रेल हादसे ने फिर से उनकी मुसीबत बढ़ा दी है। रेल पटरी ठीक होने में 2 से 4 दिन तो लगेंगे ही।
मध्य रेलवे के लोकमान्य तिलक टर्मिनस, जहां से कामायनी एक्सप्रेस वाराणसी के लिए रवाना हुई थी, वहां रेल हादसे के बाद बनाई गई हेल्पलाइन की घंटी सुबह 6 बजे से जो बजनी शुरू हुई तो रुकने का नाम नहीं ले रही थी। लोग अपनों की खोज खबर और सलामती जानने के लिए लोग लगातार फोन कर रहे थे।
हेल्प डेस्क पर बैठे मुख्य टिकट इंस्पेक्टर पीआर मीणा ने बताया कि अपनों का हाल जानने के लिए लोग लगातार फोन कर रहे थे। कोई अपने पति का हाल जानना चाह रहा था तो कोई बहन और भाई का।
कुछ लोग फोन करने के बजाय खुद स्टेशन पहुंच गए, लेकिन हेल्प डेस्क के पास समुचित जानकारी न होने से वहां भी मायूसी हाथ लगी। अपने भाई को खोजने के लिए आए ज्ञानी साकेत तो सीधे हरदा के लिए रवाना हो गए। कुछ यही हाल विश्वराम यादव का भी था। इलाहबाद से जनता एक्सप्रेस से चले उनके चाचा का कोई अता-पता नहीं था, फोन भी बंद था।
कुछ खुशनसीब भी रहे जिनके अपनों की सलामती की खबर मिली। हालांकि बात नहीं हो पाई। अपने मामा को खोजने आए मोहम्मद इब्राहिम को हरदा की हेल्पलाइन से यह तो पता चल गया कि वे जख्मी हैं, लेकिन कहां और कौन से अस्पताल में हैं, इसकी जानकारी कोई नहीं दे पाया।
हादसे की वजह से मध्य रेलवे की कुछ गाड़ियां रद्द करनी पड़ीं। खासकर कामायनी एक्सप्रेस, जो दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर छूटने वाली थी, कुछ घंटे पहले ही अचानक रद्द कर दी गई। इससे महीनों पहले उसका टिकट कटा चुके यात्रियों में नाराजगी थी। कामायनी के अलावा 5 अन्य ट्रेनें रद्द कर दी गईं। हालाँकि 25 गाड़ियां भुसावल से नागपुर और नागपुर से इटारसी के रास्ते चलाई गईं। इस कारण गाड़ियां 5 से 6 घंटे देरी से चल रही थीं।
उत्तर भारत की तरफ जाने वाले रेल यात्री इसके पहले इटारसी में सिग्नल पैनल की खराबी से तकरीबन एक महीने की परेशानी भोग चुके हैं। अब हरदा के पास हुए रेल हादसे ने फिर से उनकी मुसीबत बढ़ा दी है। रेल पटरी ठीक होने में 2 से 4 दिन तो लगेंगे ही।
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