लालू यादव और नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना:
बिहार में शराब पर पाबंदी को लेकर नीतीश सरकार असमंजस में है। दरअसल सरकार की दुविधा मद्य निषेध की नीति को लेकर नहीं हैं, वह इस बात को लेकर दुविधा में है कि वह एक साथ देशी और विदेशी शराब के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाए या फिर एक के बाद एक इस दिशा में कदम उठाए। हालांकि सरकार के पास अभी भी तीन महीने से अधिक का समय इस बारे में नीति बनाने के लिए है, लेकिन हर दिन इस मुद्दे पर एक नया विवाद खड़ा हो रहा है।
राज्य में पूर्ण मद्य निषेध पर ताजा विवाद एक सरकारी आदेश के कारण हुआ है। उत्पाद और मद्य निषेध विभाग के इस आदेश में राज्य के सभी विभाग के अधिकारियों को उनके जिले में गोदाम और खुदरा दुकान के लिए भूमि के चयन के लिए कहा गया है। इस भूमि का चयन अगले कुछ महीने में किया जाना है। इसके बाद से सवाल खड़ा हुआ कि जब राज्य में पूर्ण मद्य निषेध होना है तब ऐसा आदेश क्यों दिया गया? लेकिन अब विभाग ने जो सफाई दी है उससे साफ है कि भविष्य में विभाग खुद शराब बेचने की कमान अपने हाथों में लेने की तैयारी कर रहा है।
सरकार जल्दबाजी में नहीं उठाना चाहती कदम
हालांकि राज्य के उत्पाद और मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान का कहना है कि सरकार अपने रुख पर अडिग है और प्रतिबंध किसी भी हालत में लगेगा। लेकिन यह शुरू में आंशिक हो सकता है। वहीं सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सरकार कोई भी कदम जल्दबाजी में नहीं उठाना चाहती ताकि ऐसा न हो कि पूरे राज्य में एक तरफ शराब पर पाबंदी हो और एक सामानांतर व्यवस्था की शुरुआत हो जाए। इससे न केवल राजस्व का चूना लगेगा बल्कि सरकार की भी किरकिरी होगी।
बीजेपी ने बनाया सरकार को निशाना
इस बीच बीजेपी नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि शराब बंदी पर सरकार की जुबान लड़खड़ा रही है। कभी सिर्फ देशी शराब पर पाबंदी की बात होती है तो कभी कहा जाता है कि राज्य में हर तरह के शराब के उत्पादन, बिक्री और उपभोग पर प्रतिबंध लगेगा। हालांकि नीतीश कुमार के लिए संतोष की बात है कि उनके सहयोगी अभी तक इस मुद्दे पर कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। बुधवार को शराब विक्रेता का एक प्रतिनिधिमंडल जब राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव से मिला तो उन्होंने साफ किया कि वे सरकार से इस मुद्दे पर पुनर्विचार के लिए कहने के पक्ष में नहीं हैं।
एक आदेश ने बढ़ा दिया असमंजस
राज्य में पूर्ण मद्य निषेध पर ताजा विवाद एक सरकारी आदेश के कारण हुआ है। उत्पाद और मद्य निषेध विभाग के इस आदेश में राज्य के सभी विभाग के अधिकारियों को उनके जिले में गोदाम और खुदरा दुकान के लिए भूमि के चयन के लिए कहा गया है। इस भूमि का चयन अगले कुछ महीने में किया जाना है। इसके बाद से सवाल खड़ा हुआ कि जब राज्य में पूर्ण मद्य निषेध होना है तब ऐसा आदेश क्यों दिया गया? लेकिन अब विभाग ने जो सफाई दी है उससे साफ है कि भविष्य में विभाग खुद शराब बेचने की कमान अपने हाथों में लेने की तैयारी कर रहा है।
सरकार जल्दबाजी में नहीं उठाना चाहती कदम
हालांकि राज्य के उत्पाद और मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान का कहना है कि सरकार अपने रुख पर अडिग है और प्रतिबंध किसी भी हालत में लगेगा। लेकिन यह शुरू में आंशिक हो सकता है। वहीं सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सरकार कोई भी कदम जल्दबाजी में नहीं उठाना चाहती ताकि ऐसा न हो कि पूरे राज्य में एक तरफ शराब पर पाबंदी हो और एक सामानांतर व्यवस्था की शुरुआत हो जाए। इससे न केवल राजस्व का चूना लगेगा बल्कि सरकार की भी किरकिरी होगी।
बीजेपी ने बनाया सरकार को निशाना
इस बीच बीजेपी नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि शराब बंदी पर सरकार की जुबान लड़खड़ा रही है। कभी सिर्फ देशी शराब पर पाबंदी की बात होती है तो कभी कहा जाता है कि राज्य में हर तरह के शराब के उत्पादन, बिक्री और उपभोग पर प्रतिबंध लगेगा। हालांकि नीतीश कुमार के लिए संतोष की बात है कि उनके सहयोगी अभी तक इस मुद्दे पर कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। बुधवार को शराब विक्रेता का एक प्रतिनिधिमंडल जब राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव से मिला तो उन्होंने साफ किया कि वे सरकार से इस मुद्दे पर पुनर्विचार के लिए कहने के पक्ष में नहीं हैं।
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