पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
नोटबंदी के बाद जमा हुए नोटों का आंकड़ा सामने आने के बाद आज कांग्रेस ने केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला किया. कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि नोटबंदी के ग्रैंड तुगलकी फरमान ने सब कुछ तबाह कर दिया. नैतिकता होती तो पीएम इस्तीफा दे देते. उनको देश से माफी मांगनी चाहिए.
मनीष तिवारी ने कहा कि पीएम ने लाल किले से कहा था तीन लाख करोड़ कालाधन है. कहां तीन लाख करोड़ और कहां 28 हज़ार करोड़. जो नोट बैंक में नहीं लौटे उनके बारे में पिछले साल 14 हज़ार करोड़ बताया गया था पर इस साल की आरबीआई की रिपोर्ट में महज़ 10 हज़ार करोड़ कहा गया है. इसमें कोऑपरेटिव बैंक आदि का पैसा भी शामिल नहीं है. सब पैसा जोड़ लिया जाए तो सौ फ़ीसदी से भी ज़्यादा वापस हो जाएगा. RBI ने तो यह भी कहा है कि 7000 करोड़ रुपये नए नोट छापने में लग गए.
कांग्रेस ने दावा किया कि नोटबंदी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को एक साल में 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी. मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री ने तीन मकसद बताए थे. पहला यह कि आतंकवाद पर चोट लगेगी, दूसरा यह कि जाली मुद्रा पर अंकुश लगेगा और तीसरा यह कि कालाधन वापस आएगा. सवाल यह है कि इस तुगलकी फरमान का क्या नतीजा निकला?’’
यह भी पढ़ें : नोटबंदी के बाद पहली बार रिजर्व बैंक ने बताया, 1000 और 500 के बंद हुए कितने प्रतिशत नोट वापस आए
तिवारी ने दावा किया, ‘‘नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था को जीडीपी के 1.5 फीसदी का नुकसान हुआ. इस हिसाब से एक साल में 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी. इसके अलावा कतारों में खड़े होने की वजह से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई. लाखों लोग बेरोजगार हो गए.’’
तिवारी ने कहा, ‘‘अगर प्रधानमंत्री में रत्ती भर भी नैतिकता होती तो वह इस्तीफा दे देते, लेकिन उनसे इसकी उम्मीद नहीं की जाती. हमारी मांग है कि अपने इस तुगलकी फरमान के लिए उनको जिम्मेदारी स्वीकारनी चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए.’’
यह भी पढ़ें : राहुल गांधी और रणदीप सुरजेवाला के खिलाफ अहमदाबाद सहकारी बैंक ने किया मानहानि का केस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इसको लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि नोटबंदी की वजह से देश को 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए सवाल किया, ‘‘याद करिए कि किसने कहा था कि तीन लाख करोड़ रुपये वापस नहीं आएंगे और यह सरकार के लिए लाभ होगा ?’’
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''आरबीआई की रिपोर्ट से फिर साबित हो गया कि नोटबंदी व्यापक स्तर की ''मोदी मेड डिज़ास्टर'' थी. चलन से बाहर हुए 99.30 फीसदी नोट वापस आ गए हैं.''
VIDEO : नोटबंदी सबसे बड़ा घोटाला
रिजर्व बैंक की ओर से जारी ताजा आंकड़े के अनुसार नवंबर, 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बंद किए गए 500 और 1,000 रुपये के नोटों का 99.3 प्रतिशत बैंको के पास वापस आ गया है. नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं. इसका मतलब है कि बंद नोटों में सिर्फ 10,720 करोड़ रुपये ही बैंकों के पास वापस नहीं आए हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
मनीष तिवारी ने कहा कि पीएम ने लाल किले से कहा था तीन लाख करोड़ कालाधन है. कहां तीन लाख करोड़ और कहां 28 हज़ार करोड़. जो नोट बैंक में नहीं लौटे उनके बारे में पिछले साल 14 हज़ार करोड़ बताया गया था पर इस साल की आरबीआई की रिपोर्ट में महज़ 10 हज़ार करोड़ कहा गया है. इसमें कोऑपरेटिव बैंक आदि का पैसा भी शामिल नहीं है. सब पैसा जोड़ लिया जाए तो सौ फ़ीसदी से भी ज़्यादा वापस हो जाएगा. RBI ने तो यह भी कहा है कि 7000 करोड़ रुपये नए नोट छापने में लग गए.
कांग्रेस ने दावा किया कि नोटबंदी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को एक साल में 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी. मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री ने तीन मकसद बताए थे. पहला यह कि आतंकवाद पर चोट लगेगी, दूसरा यह कि जाली मुद्रा पर अंकुश लगेगा और तीसरा यह कि कालाधन वापस आएगा. सवाल यह है कि इस तुगलकी फरमान का क्या नतीजा निकला?’’
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तिवारी ने दावा किया, ‘‘नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था को जीडीपी के 1.5 फीसदी का नुकसान हुआ. इस हिसाब से एक साल में 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी. इसके अलावा कतारों में खड़े होने की वजह से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई. लाखों लोग बेरोजगार हो गए.’’
तिवारी ने कहा, ‘‘अगर प्रधानमंत्री में रत्ती भर भी नैतिकता होती तो वह इस्तीफा दे देते, लेकिन उनसे इसकी उम्मीद नहीं की जाती. हमारी मांग है कि अपने इस तुगलकी फरमान के लिए उनको जिम्मेदारी स्वीकारनी चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए.’’
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इसको लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि नोटबंदी की वजह से देश को 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए सवाल किया, ‘‘याद करिए कि किसने कहा था कि तीन लाख करोड़ रुपये वापस नहीं आएंगे और यह सरकार के लिए लाभ होगा ?’’
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''आरबीआई की रिपोर्ट से फिर साबित हो गया कि नोटबंदी व्यापक स्तर की ''मोदी मेड डिज़ास्टर'' थी. चलन से बाहर हुए 99.30 फीसदी नोट वापस आ गए हैं.''
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रिजर्व बैंक की ओर से जारी ताजा आंकड़े के अनुसार नवंबर, 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बंद किए गए 500 और 1,000 रुपये के नोटों का 99.3 प्रतिशत बैंको के पास वापस आ गया है. नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं. इसका मतलब है कि बंद नोटों में सिर्फ 10,720 करोड़ रुपये ही बैंकों के पास वापस नहीं आए हैं.
(इनपुट भाषा से भी)