मनमोहन वैद्य. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
राम मंदिर (Ram Mandir) मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने के बाद सियासत गरमाई हुई है. RSS ने बुधवार को अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाने या कानून बनाने की अपनी मांग को फिर दोहराया. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) का कहना है कि देश की जनभावना का सम्मान करते हुए केंद्र सरकार को जमीन अधिग्रहण कर उसे राम मंदिर निर्माण के लिए सौंप देना चाहिए. साथ ही सरकार को इसके लिए कानून भी बनाना चाहिए. आरएसएस के सहसरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण राष्ट्रीय गौरव का विषय है और अभी तक अयोध्या विवाद का हल अदालतों में नहीं निकला है. इस संबंध में कानून बनाने की जरूरत है.
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मनमोहन वैद्य ने राम मंदिर मुद्दे को लेकर एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यह मुद्दा न हिंदू-मुस्लिम का है और न ही मंदिर-मस्जिद के विवाद का. बाबर के सेनापति ने जब अयोध्या में आक्रमण किया तो ऐसा नहीं था कि वहां नमाज के लिए जमीन नहीं थी. वहां खूब जमीन थी, मस्जिद बना सकते थे. पर उसने आक्रमण कर मंदिर को तोड़ा था. पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में यह सिद्ध हो चुका है कि इस स्थान पर पहले मंदिर था. इस्लामी विद्वानों के अनुसार भी ज़बरदस्ती क़ब्ज़ाई भूमि पर पढ़ी गई नमाज़ क़बूल नहीं होती है और सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फ़ैसले में कहा है कि नमाज के लिए मस्जिद जरूरी नहीं होती, ये कहीं भी पढ़ी जा सकती है.
VIDEO : क्या कानून से बनेगा राम मंदिर?
उन्होंने कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय स्वाभिमान और गौरव का विषय है. उन्होंने कहा कि जैसे सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद खुद प्राणप्रतिष्ठा में गए थे. उन्होंने कहा कि इसी तरह सरकार को चाहिए कि वह मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहीत कर उसे राम मंदिर निर्माण के लिए सौंप दे. इसके लिए सरकार कानून बनाए.
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मनमोहन वैद्य ने राम मंदिर मुद्दे को लेकर एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यह मुद्दा न हिंदू-मुस्लिम का है और न ही मंदिर-मस्जिद के विवाद का. बाबर के सेनापति ने जब अयोध्या में आक्रमण किया तो ऐसा नहीं था कि वहां नमाज के लिए जमीन नहीं थी. वहां खूब जमीन थी, मस्जिद बना सकते थे. पर उसने आक्रमण कर मंदिर को तोड़ा था. पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में यह सिद्ध हो चुका है कि इस स्थान पर पहले मंदिर था. इस्लामी विद्वानों के अनुसार भी ज़बरदस्ती क़ब्ज़ाई भूमि पर पढ़ी गई नमाज़ क़बूल नहीं होती है और सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फ़ैसले में कहा है कि नमाज के लिए मस्जिद जरूरी नहीं होती, ये कहीं भी पढ़ी जा सकती है.
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उन्होंने कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय स्वाभिमान और गौरव का विषय है. उन्होंने कहा कि जैसे सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद खुद प्राणप्रतिष्ठा में गए थे. उन्होंने कहा कि इसी तरह सरकार को चाहिए कि वह मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहीत कर उसे राम मंदिर निर्माण के लिए सौंप दे. इसके लिए सरकार कानून बनाए.
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