पहला वीरता पुरस्कार पाने वाली महिला सैन्य अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत

पहला वीरता पुरस्कार पाने वाली महिला सैन्य अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

सु्प्रीम कोर्ट ने पहला वीरता पुरस्कार पाने वाली सेना की महिला अधिकारी की सेवा बढ़ा दी है। कोर्ट ने सेना को निर्देश दिया है कि जब तक कोर्ट का स्थाई कमीशन को लेकर कोई फैसला न आ जाए तब तक लेफ्टिनेंट कर्नल मिताली मधुमिता को रिटायर न किया जाए। वे ड्यूटी ज्वाइन करेंगी। कोर्ट ने सेना से कहा है कि उनको नियमामुसार सैलरी और सारे भत्ते दिए जाएं। लेफ्टिनेंट कर्नल को पिछले 17 महीने से सैलरी नहीं दी जा रही थी।        

काबुल में कई लोगों की जान बचाई
लेफ्टिनेंट कर्नल  मधुमिता 14 नवंबर को रिटायर होने वाली थीं। मधुमिता के वकील ने तर्क दिया कि जब वे काबुल में तैनात थीं तब भारतीय दूतावास पर हुए तालिबानी हमले (26 फरवरी 2010) में उन्होंने कई लोगों की जान बचाई थी। तभी मधुमिता को वीरता पुरस्कार मिला था।   

पहले स्थाई कमीशन के लिए मना कर दिया था
सेना ने मधुमिता के स्थाई कमीशन का विरोध करते हुए तर्क दिया कि उन्होंने शुरुआत में स्थाई कमीशन के लिए मना कर दिया था। अगर उन्हें स्थाई कमीशन दे दिया गया तो स्थाई कमीशन चाहने वालों की बाढ़ आ जाएगी। मिताली के वकील ने जवाब में कहा कि शुरुआत में वे स्थाई कमीशन नहीं चाहती थीं लेकिन बाद में उनका विचार बदल गया और अपनी सेवा के दौरान असाधारण योगदान के तहत स्थाई कमीशन की मांग की।

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मधुमिता के वकील ने कहा है कि जिस तरीके का सलूक उनके साथ किया जा रहा है उससे गलत संदेश जा रहा है। सेना का तर्क है कि उसके यहां पुर्नविचार का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है और उन्होंने 14 साल का कार्यकाल 2014 में ही पूरा कर लिया है।