सूखे से तबाह तेलंगाना के किसानों की सीएम से अपील, हमारी भी तो सुध लो

सूखे से तबाह तेलंगाना के किसानों की सीएम से अपील, हमारी भी तो सुध लो

तेलंगाना:

तेलंगाना के मेडक जिले के कई गांवों में मातम पसरा हुआ है। विलाप करते लोगों की ऊंची आवाजें मन को झकझोर जाती हैं। राज्य के ग्रामीण इलाके से एक हफ्ते में कम से कम आधे दर्जन किसानों की खुदकुशी के मामले सामने आ चुके हैं।

लगातार दूसरे साल सूखा पड़ने के कारण कई परिवार तबाह हो गए हैं। इस बीच मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव 8 सितंबर को चीन के दौरे पर जा रहे हैं। इसके लिए दो करोड़ रुपये में एक निजी विमान को किराये पर लिया गया है, जिस कारण मुख्यमंत्री की काफी आलोचना हो रही है।

पिछले 10 सालों से मेडक जिले में किसानों की मौत के मामले को दर्ज कर रहे एक स्कूल टीचर पुलिराजू कहते हैं, आश्वासन का भी एक शब्द नहीं कहा गया है। मुख्यमंत्री तो इस गंभीर समस्या पर बात तक नहीं कर रहे हैं।

अलग राज्य बनने के 15 महीने बाद तेलंगाना में आधिकारिक रूप से 409 किसानों की खुदकुशी के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। अन्य रिपोर्ट और जांच में यह आंकड़ा 1,400 से भी अधिक बताया जाता है।

कृषि वैज्ञानिक जीवी रमनजेनयुलु कहते हैं, लेकिन सरकार ने पिछले साल सूखा भी घोषित नहीं किया। और वे बार-बार हो रही इस समस्या के समाधान की तैयारी में भी नाकाम रहे।

हमने मुख्यमंत्री के आलीशान फार्महाउस से बमुश्किल आठ किलोमीटर दूर मेडक जिले के पिरलापल्ली गांव का दौरा किया। बुधवार को इस गांव के 40 साल के किसान किश्तैया ने खुद को फांसी लगा ली। वह उस दिन राज्य में खुदकुशी करने वाले नौ किसानों में एक थे।
 

(पिरलापल्ली गांव में 40 साल के किसान किश्तैया ने खुद को फांसी लगा ली थी)

कपास की खेती करने वाली नल्ला अंडल के पास दो एकड़ जमीन है। वह कहती हैं- मुख्यमंत्री को यहां अपने लोगों के बीच होना चाहिए...हमारी चिताएं सुनने को। वह नाराज होकर कहती हैं- वह दुनिया भर में जा रहे हैं, लेकिन हम यहां कैसे जी रहे हैं या मर रहे हैं, वो देखने के लिए नहीं आते।

तेलंगाना में अधिकांश किसान कपास बोते हैं। इसके बीज, खाद और कीटनाशक महंगे होते हैं, लेकिन धान के मुकाबले इसके लिए पानी की कम जरूरत होती है। मल्लेशम नामक एक किसान कहते हैं- हमें घटिया बीज मिले, जो ठीक से विकसित नहीं हुए। हमें कोई बीमा भी नहीं मिला। हमें साहूकार से ही पैसा लेना पड़ा।

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किसानों का कहना है कि पिछले साल भी फसल खराब हो गई थी और वे बकाये लोन को लेकर पहले से ही परेशान हैं।
थिम्मापुर के एक किसान का कहना है, हम किसान इतनी बड़ी विपदा में हैं, कि लोग खुद जान दे रहे हैं। हमने सोचा कि हमारे सीएम मदद के लिए आएंगे। उन्हें आना चाहिए। उन्होंने अब तक हमारी मदद नहीं की।