मुंबई:
महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मुम्ब्रा शहर में शुक्रवार को एक तीन मंजिला इमारत के ढह जाने से छह बच्चों सहित 10 लोगों की मौत हो गई।
ठाणे के पुलिस निरीक्षक एनडी चव्हाण ने बताया कि यह घटना गुरुवार को रात लगभग दो बजे हुई। 35 साल पुरानी शकुंतला इमारत जिस वक्त अचानक ढह गई, उस वक्त इसमें रहने वाले लोग सो रहे थे। चव्हाण ने बताया कि कम से कम 23 लोगों को जिंदा बचा लिया गया है।
इस हादसे में मरने वाले बच्चे हैं महक पंजाबी (2 महीने), हमजा शेख (4 महीने), हसीना मकदूम शेख (3), तस्लीमा करीम (3), शब्बीर करीम शेख (6) और रोहन फारूकी (7)।
मलबे में दबकर जिन वयस्कों की मौत हुई है, वे हैं आलिया मकदूम शेख (28), करीम अब्दुल शेख और मकदूम शेख (दोनों 32)।
चव्हाण ने कहा कि शुक्रवार शाम तक मलबे में दबे अधिकांश जीवित लोगों को निकाल लिया गया। अब किसी के भी मलबे में दबे होने की आशंका नहीं है।
महापौर हरिश्चंद्र पाटील, नगर निगम के कार्यवाहक आयुक्त श्यामसुंदर पाटील, ठाणे जिला के कलेक्टर पी. वेलरासु, पुलिस आयुक्त केपी रघुवंशी सहित जिले के अन्य अधिकारियों ने राहत एवं बचाव कार्य का निरीक्षण किया।
मुम्ब्रा के महापौर हरिश्चंद्र पाटील ने कहा कि नगर निगम जल्द ही लोगों को जीर्ण-शीर्ण और खतरनाक इमारतों से निकालकर किराये के नए मकानों में उनके रहने का बंदोबस्त करेगा।
पाटील ने संवाददाताओं से कहा, "हम नए मकानों का किराया तय कर रहे हैं। किराये 1,500 रुपये प्रति माह के आसपास रहने चाहिए ताकि लोग खतरनाक मकानों को छोड़कर नए मकानों में रह सकें।" उन्होंने बताया कि घायल लोगों को कालवा शहर और ठाणे के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है।
ज्ञात खबरों के मुताबिक, नगर निगम ने कुछ समय पहले इस इमारत को खाली कराने का नोटिस जारी किया था बावजूद इसके लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
गौरतलब है कि मुंबई महानगर क्षेत्र में पिछले 10 दिनों के भीतर इमारत ढहने का यह दूसरा बड़ा हादसा हुआ है।
10 जून को मध्य मुंबई के माहिम में चार मंजिली पुरानी इमारत ढह गई थी जिसमें 10 लोगों की मौत हुई थी और अन्य छह घायल हो गए थे।
लगभग तीन महीने पहले ठाणे जिले के मुम्ब्रा में ही एक बहुमंजिली इमारत के ढहने से 75 लोगों की मौत हुई थी और 60 लोग घायल हुए थे।
इससे पहले, चार अप्रैल को मुंबई से लगभग 40 किलोमीटर दूर शिलफाटा कस्बे में एक इमारत ढह गई थी।
ठाणे के पुलिस निरीक्षक एनडी चव्हाण ने बताया कि यह घटना गुरुवार को रात लगभग दो बजे हुई। 35 साल पुरानी शकुंतला इमारत जिस वक्त अचानक ढह गई, उस वक्त इसमें रहने वाले लोग सो रहे थे। चव्हाण ने बताया कि कम से कम 23 लोगों को जिंदा बचा लिया गया है।
इस हादसे में मरने वाले बच्चे हैं महक पंजाबी (2 महीने), हमजा शेख (4 महीने), हसीना मकदूम शेख (3), तस्लीमा करीम (3), शब्बीर करीम शेख (6) और रोहन फारूकी (7)।
मलबे में दबकर जिन वयस्कों की मौत हुई है, वे हैं आलिया मकदूम शेख (28), करीम अब्दुल शेख और मकदूम शेख (दोनों 32)।
चव्हाण ने कहा कि शुक्रवार शाम तक मलबे में दबे अधिकांश जीवित लोगों को निकाल लिया गया। अब किसी के भी मलबे में दबे होने की आशंका नहीं है।
महापौर हरिश्चंद्र पाटील, नगर निगम के कार्यवाहक आयुक्त श्यामसुंदर पाटील, ठाणे जिला के कलेक्टर पी. वेलरासु, पुलिस आयुक्त केपी रघुवंशी सहित जिले के अन्य अधिकारियों ने राहत एवं बचाव कार्य का निरीक्षण किया।
मुम्ब्रा के महापौर हरिश्चंद्र पाटील ने कहा कि नगर निगम जल्द ही लोगों को जीर्ण-शीर्ण और खतरनाक इमारतों से निकालकर किराये के नए मकानों में उनके रहने का बंदोबस्त करेगा।
पाटील ने संवाददाताओं से कहा, "हम नए मकानों का किराया तय कर रहे हैं। किराये 1,500 रुपये प्रति माह के आसपास रहने चाहिए ताकि लोग खतरनाक मकानों को छोड़कर नए मकानों में रह सकें।" उन्होंने बताया कि घायल लोगों को कालवा शहर और ठाणे के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है।
ज्ञात खबरों के मुताबिक, नगर निगम ने कुछ समय पहले इस इमारत को खाली कराने का नोटिस जारी किया था बावजूद इसके लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
गौरतलब है कि मुंबई महानगर क्षेत्र में पिछले 10 दिनों के भीतर इमारत ढहने का यह दूसरा बड़ा हादसा हुआ है।
10 जून को मध्य मुंबई के माहिम में चार मंजिली पुरानी इमारत ढह गई थी जिसमें 10 लोगों की मौत हुई थी और अन्य छह घायल हो गए थे।
लगभग तीन महीने पहले ठाणे जिले के मुम्ब्रा में ही एक बहुमंजिली इमारत के ढहने से 75 लोगों की मौत हुई थी और 60 लोग घायल हुए थे।
इससे पहले, चार अप्रैल को मुंबई से लगभग 40 किलोमीटर दूर शिलफाटा कस्बे में एक इमारत ढह गई थी।
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