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This Article is From Jan 22, 2012

सरकार केवल राहुल की सुनती है : अन्ना

नई दिल्ली: अन्ना हजारे और उनकी टीम ने अपने को निष्पक्ष जताने की कोशिश करते हुए आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, भाजपा प्रमुख नितिन गडकरी सहित कई नेताओं को पत्र लिखकर पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले उनसे लोकपाल मुद्दे पर कई सवाल किए।

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को भी पत्र लिखे गए हैं। इन पत्रों पर हजारे के अलावा उनकी टीम के सदस्यों शांति भूषण, प्रशांत भूषण, अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी के हस्ताक्षर हैं। प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में सिर्फ हजारे का हस्ताक्षर है।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि वह कुछ साहस दिखाते हुए ‘कमजोर’ लोकपाल विधेयक को वापस ले लें ओर एक मजबूत विधेयक लाएं। राहुल गांधी को लिखे पत्र में सवाल किया गया है कि क्या उनकी पार्टी उत्तराखंड में सख्त लोकायुक्त कानून की तर्ज पर ऐसा विधेयक लाने की हिम्मत करेगी।

गडकरी से सवाल किया गया है कि भाजपा ने उत्तराखंड में पार्टी की सरकार द्वारा पारित सख्त विधेयक जैसे कानून के लिए बिहार में नीतीश कुमार सरकार पर क्यों नहीं जोर दिया। उनसे यह सवाल भी किया गया कि लोकपाल विधेयक के जरिए लोकायुक्त के मुद्दे पर उनकी पार्टी का रुख क्यों बदलता रहा है।

टीम अन्ना ने स्थायी समिति में विरोध नहीं करने और लोकसभा में वाकआउट करने के लिए बसपा को भी निशाने पर लिया। स्थायी समिति में जोरदार विरोध करने वाली सपा के प्रमुख मुलायम सिंह यादव से टीम अन्ना ने सवाल किया कि वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के साथ रहेंगे या भाजपा के साथ जाएंगे। प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में अन्ना ने कहा, ‘आपकी उम्र 80 वर्ष हो गयी है। इस देश ने आपको सब कुछ दिया। अब यह देश आपसे कुछ मांग रहा है। हिम्मत दिखाइए। आपने न्यूक्लियर डील पर तो अपनी सरकार को दांव पर लगा दिया। थोड़ी हिम्मत भ्रष्टाचार दूर करने के लिए लोकपाल बिल पर भी दिखाइए। पता नहीं कांग्रेस आपको इसके बाद प्रधानमंत्री बनने का मौका दे या न दे, पर देश आपका नाम हमेशा याद रखेगा।’

हजारे ने कहा, ‘सीबीआई को सरकारी शिकंजे से मुक्त कराए जाने से आप क्यों डरते हैं। क्या सीबीआई में कुछ ऐसी फाइलें हैं जिनके बाहर आने से सरकार डरती है? या सीबीआई का दुरूपयोग भ्रष्ट नेताओं को बचाने के लिए करते रहना चाहते हैं? या सीबीआई का दुरूपयोग मुलायम सिंह और मायावती का समर्थन लेकर सरकार बनाए रखने के लिए करना चाहते हैं।?’

राहुल को भेजे पत्र में टीम अन्ना ने कहा कि सरकार ने संसद की नहीं सुनी लेकिन आपने कहा कि लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दो तो सरकार ने तुरंत आपकी बात सुन ली। ‘ऐसा लगत है कि सरकार केवल आपकी बात सुनती है। आपके कहने पर सरकार ने आपकी बात मान ली। लेकिन लोकपाल को न आप स्वतंत्र करना चाहते है और न ही उसे कोई शक्ति देना चाहते हैं।’ टीम अन्ना ने इसी प्रकार अन्य नेताओं से भी कई मुद्दों पर सवाल किए हैं।

टीम अन्ना द्वारा कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा जैसी पार्टियों को अलग अलग पत्र लिखे जाने को निष्पक्ष छवि बनाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि उन पर कांग्रेस विरोधी होने का आरोप लगता रहा है।

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