सुषमा स्वराज से मुलाकात करते हजरत निजामुद्दीन दरगाह के सज्जादानशीन और उनके भतीजे.
नई दिल्ली:
हजरत निजामुद्दीन दरगाह के सज्जादानशीन और उनके भतीजे सोमवार को राजधानी दिल्ली वापस लौट आए. वे कुछ दिन पहले पाकिस्तान में लापता हो गए थे. हजरत निजामुद्दीन दरगाह के सज्जादानशीन 80 वर्षीय सैयद आसिफ निजामी और अन्य वरिष्ठ सूफी उलेमा नाजिम अली निजामी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की उड़ान से यहां उतरे और बाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की और उन्हें धन्यवाद दिया. सुषमा ने दोनों के लापता होने का मामला पाकिस्तान के समक्ष उठाया था.
सुषमा से मुलाकात के बाद आसिफ निजामी ने अपनी गुमशुदगी पर चुप्पी तोड़ते हुए बताया कि कराची एयरपोर्ट पर हिरासत में लिए जाने के बाद कपड़े से उनके चेहरे को ढंक दिया गया और वहां से उन लोगों को बाहर ले जाया गया. यह पूछे जाने पर कि क्या उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया, उन्होंने कहा, बिल्कुल नहीं. उन्होंने कहा कि उनसे पूछताछ करने वालों ने उनकी पसंद के हिसाब से चाय बनाई और बिस्कुट भी दिए. यही नहीं उनके लिए अलग से दाल बनाई गई, क्योंकि उन्होंने कहा कि वह मटन नहीं खाना चाहते हैं.
वहीं नाजिम अली ने कहा, हम उनमें शामिल नहीं थे जो किसी अवैध गतिविधि में शामिल थे. हम प्रेम और शांति का संदेश फैलाने के लिए पाकिस्तान गए थे. कुछ लोगों को हमारा संदेश पसंद नहीं आया होगा. मैं बड़े संकल्प के साथ फिर से पाकिस्तान जाऊंगा. निजामी ने अपनी वापसी में सहयोग के लिए पाकिस्तान सरकार को भी धन्यवाद दिया.
दोनों उलेमाओं के निजामुद्दीन दरगाह पहुंचने पर उनका बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया गया. उनकी वापसी के लिए 'परवरदिगार का शुक्रिया अदा' करने के लिए दरगाह में विशेष नमाज अदा की गई.
आसिफ निजामी और नाजिम अली निजामी 8 मार्च को लाहौर गए थे और वहां एकाएक लापता हो गए थे, जिसके बाद भारत ने इस मामले को पाकिस्तान के समक्ष उठाया था. उनकी यात्रा का मुख्य मकसद कराची में अपनी बहन से मिलना था. पाकिस्तान ने शनिवार को भारत को सूचित किया था कि दोनों उलेमा मिल गए हैं और दोनों कराची पहुंच गए हैं.
सुषमा स्वराज ने भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज से कल इस संबंध में बात की थी. इससे पहले पाकिस्तानी सूत्रों ने कहा था कि मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट से कथित संबंधों को लेकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने दोनों उलेमाओं को हिरासत में लिया है.
सुषमा से मुलाकात के बाद आसिफ निजामी ने अपनी गुमशुदगी पर चुप्पी तोड़ते हुए बताया कि कराची एयरपोर्ट पर हिरासत में लिए जाने के बाद कपड़े से उनके चेहरे को ढंक दिया गया और वहां से उन लोगों को बाहर ले जाया गया. यह पूछे जाने पर कि क्या उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया, उन्होंने कहा, बिल्कुल नहीं. उन्होंने कहा कि उनसे पूछताछ करने वालों ने उनकी पसंद के हिसाब से चाय बनाई और बिस्कुट भी दिए. यही नहीं उनके लिए अलग से दाल बनाई गई, क्योंकि उन्होंने कहा कि वह मटन नहीं खाना चाहते हैं.
वहीं नाजिम अली ने कहा, हम उनमें शामिल नहीं थे जो किसी अवैध गतिविधि में शामिल थे. हम प्रेम और शांति का संदेश फैलाने के लिए पाकिस्तान गए थे. कुछ लोगों को हमारा संदेश पसंद नहीं आया होगा. मैं बड़े संकल्प के साथ फिर से पाकिस्तान जाऊंगा. निजामी ने अपनी वापसी में सहयोग के लिए पाकिस्तान सरकार को भी धन्यवाद दिया.
दोनों उलेमाओं के निजामुद्दीन दरगाह पहुंचने पर उनका बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया गया. उनकी वापसी के लिए 'परवरदिगार का शुक्रिया अदा' करने के लिए दरगाह में विशेष नमाज अदा की गई.
आसिफ निजामी और नाजिम अली निजामी 8 मार्च को लाहौर गए थे और वहां एकाएक लापता हो गए थे, जिसके बाद भारत ने इस मामले को पाकिस्तान के समक्ष उठाया था. उनकी यात्रा का मुख्य मकसद कराची में अपनी बहन से मिलना था. पाकिस्तान ने शनिवार को भारत को सूचित किया था कि दोनों उलेमा मिल गए हैं और दोनों कराची पहुंच गए हैं.
सुषमा स्वराज ने भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज से कल इस संबंध में बात की थी. इससे पहले पाकिस्तानी सूत्रों ने कहा था कि मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट से कथित संबंधों को लेकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने दोनों उलेमाओं को हिरासत में लिया है.
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