टाटा बनाम साइरस मिस्त्री (Tata vs Cyrus Mistry) का बहुचर्चित विवाद फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. शापूरजी पलोनजी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. याचिका में शीर्ष अदालत के 26 मार्च के फैसले पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई गई है जिसमें अदालत ने टाटा समूह के पक्ष में फैसला सुनाया था. नियमों के अनुसार, पुनर्विचार याचिका पर विचार चेंबर में होता है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को अपने फैसले में कहा था कि कानून के सभी सवाल टाटा के पक्ष में हैं. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि शेयरों के विवाद को लेकर दोनों पक्ष कानूनी रास्ता अपना सकते हैं. SC ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि साइरस इनवेस्टमेंट्स, स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स की याचिका खारिज की जाती है. पूर्व CJI शरद अरविंद बोबड़े की बेंच ने ये फैसला सुनाया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को टाटा समूह (Tata Group) के कार्यकारी चेयरमैन के पद से हटाने को सही ठहराया है. इसके साथ ही कोर्ट ने मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल करने के NCLAT के फैसले को रद्द कर दिया है. 18 दिसंबर, 2019 को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल कर दिया था.
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मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने ये फैसला सुनाया था. पिछले साल 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पहले 2 दिसंबर को मिस्त्री द्वारा टाटा टंस के शेयरों के जरिए पूंजी जुटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने मिस्त्री फर्मों और शापूरजी पल्लोनजी मिस्त्री के खिलाफ टाटा संस में अपने शेयरधारिता की सुरक्षा के खिलाफ पूंजी जुटाने, गिरवी रखने, शेयरों के संबंध में कोई हस्तांतरण या कोई और कार्रवाई ना करने का आदेश दिया है. 5 सितंबर को, टाटा संस ने शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप (एसपी ग्रुप) को टाटा संस में रखे गए शेयरों को गिरवी रखने से रोकने की मांग की गई थी, जब मिस्त्री समूह ने ब्रुकफील्ड के साथ 3,750 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
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