तमिलनाडु हिरासत में मौत का मामला: कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में हुआ खुलासा, थाने के CCTV फुटेज मिटाए गए

तमिलनाडु में पुलिस हिरासत में हुई मौतों के मामले में मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट में जांच रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसमें कहा गया है कि संबंधित पुलिस स्टेशन के CCTV कैमरों की फुटेज उपलब्ध नहीं है, यानी ये फुटेज मिटाए गए हैं. कोर्ट को बताया गया है कि 19 जून के बाद पुलिस स्टेशन के CCTV कैमरों की कोई फुटेज उपलब्ध नहीं है.

तमिलनाडु हिरासत में मौत का मामला: कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में हुआ खुलासा, थाने के CCTV फुटेज मिटाए गए

तूतीकोरिन में दो लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी.

खास बातें

  • तूतीकोरिन में पुलिस कस्टडी में हुई थी दो लोगों की मौत
  • कोर्ट में दाखिल की गई रिपोर्ट में हुआ खुलासा
  • थाने के सीसीटीवी फुटेज मिटाए गए
चेन्नई/नई दिल्ली:

तमिलनाडु में पुलिस हिरासत में हुई मौतों के मामले में मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट में जांच रिपोर्ट पेश की गई है, जिसमें कहा गया है कि संबंधित पुलिस स्टेशन के CCTV कैमरों की फुटेज उपलब्ध नहीं है, यानी ये फुटेज मिटाए गए हैं. कोर्ट को बताया गया है कि 19 जून के बाद पुलिस स्टेशन के CCTV कैमरों की कोई फुटेज उपलब्ध नहीं है. 19 जून को ही मामले में जयराज और उनके बेटे बेनिक्स को तूतीकोरिन के संतनकुलम में स्थित अपनी मोबाइल की दुकान को लॉकडाउन में निर्धारित वक्त से ज्यादा वक्त तक खुला रखने की वजह से गिरफ्तार किया गया था. कोर्ट में यह रिपोर्ट सोमवार को दाखिल की गई है. इसमें यह भी बताया कि इन दोनों की मौत के आरोप में जिन पुलिसकर्मियों की जांच हो रही है, उन्होंने जांच में बाधा डालने की पूरी कोशिश की थी, वहीं एक कॉन्स्टेबल तो तब 'दीवार फांदकर भाग गया', जब उससे उसकी छड़ी जांच के लिए मांगी गई थी.

बता दें कि 31 साल के बेनिक्स की मौत 22 जून को हो गई थी और उनके 59 साल के पिता जयराज की मौत उसके अगले दिन ही हो गई. आरोप है कि पुलिस हिरासत में उनकी गंभीर रूप से प्रताड़ना हुई है. उनके परिवारवालों ने आरोप लगाया है कि उनके शरीर पर कई आंतरिक और बाहरी घाव थे. लेकिन अब जिस फुटेज से जांच में मदद मिल सकती थी, अब वो उपलब्ध ही नहीं है.

NDTV को न्यायिक मजिस्ट्रेट की एक रिपोर्ट मिली है, जिसमें कहा गया है कि पुलिस स्टेशन में इंस्टॉल किए गए CCTV कैमरों को ऐसे प्रोग्राम किया गया है जिसके तहत फुटेज हर दिन ऑटो डिलीट हो जाता है. हालांकि, सिस्टम के हार्ड डिस्क में 1 टेराबाइट- यानी काफी स्टोरेज स्पेस होता है.

एक महिला कॉन्स्टेबल ने इस संबंध में थोड़ी जानकारी दी है कि आखिर 19 जून और 22 जून के बीच क्या हुआ हो सकता है. लेकिन ज्यादातर पुलिसकर्मियों ने जांच में असहयोग दिखाया है. कॉन्स्टेबल रेवती ने मजिस्ट्रेट को बताया है कि दोनों बाप-बेटे की डंडे से पिटाई की गई थी. उन्हें इतना ज्यादा मारा गया था कि डंडे और टेबल खून से सन गए थे. रेवती ने आग्रह किया कि इन चीजों को साक्ष्य के तौर पर जब्त कर लिया जाए. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बाकी पुलिसकर्मियों ने अपने डंडे जमा करने में अनिच्छा दिखाई थी. डंडा मांगने पर एक पुलिसकर्मी दीवार फांदकर भाग गया, वहीं महाराजन नाम के दूसरे कॉन्स्टेबल ने पहले कहा कि उसका डंडा उसके गांव पर है, बाद में अपने बयान से पलटकर कहा कि उसका डंडा पुलिस क्वार्टर में है.

ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने बताया कि स्टेशन में उनकी पूछताछ के दौरान पुलिसकर्मी मोबाइल फोन पर वीडियो बना रहे थे और कोर्ट के स्टाफ पर धौंस दे रहे थे. चूंकि स्थिति सुरक्षित नहीं लग रही थी, इसलिए कोर्ट की टीम जल्द ही वहां से वापस आ गई. इस रिपोर्ट के मुताबिक, कॉन्स्टेबल महाजन ने कहा था कि 'हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.'

कोर्ट ने कहा है कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के आधार पर तीन पुलिसकर्मियों- डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस सी प्रथापन, एडिशनल डिप्टी सुपरिटेंडेंटे ऑफ पुलिस डी कुमार और कॉन्स्टेबल महाराजन पर हत्या का केस चलाने के लिए साक्ष्य मौजूद हैं. बता दें कि राज्य सरकार ने इस केस को CBI को सौंप दिया है.

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