जयललिता (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अस्पताल में भर्ती जयललिता के बारे में डॉक्टरों ने संकेत दिए हैं कि अभी उनको इलाज के लिए कुछ समय तक अस्पताल में ही रहना होगा. ऐसे में उनके कामकाज का जिम्मा विश्वस्त वित्त मंत्री ओ पनीरसेल्वम को सौंपा गया है.
गौरतलब है कि दो साल पहले जब वह गिरफ्तार हुई थी तब भी उन्होंने पनीरसेल्वम को ही यह जिम्मा सौंपा था. अब पनीरसेल्वम तमिलनाडु में मुख्यमंत्री के आठ विभागों का कामकाज भी देखेंगे.
गवर्नर सी विद्यासागर राव की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि पनीरसेल्वम कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता भी करेंगे. साथ ही यह भी कहा गया कि मुख्यमंत्री की सलाह पर यह व्यवस्था की गई है. डॉक्टरों के मुताबिक जयललिता के फेफड़ों के संक्रमण का इलाज हो रहा है और वह कई दिनों से रेस्परेटरी सपोर्ट पर हैं.
गौरतलब है कि जयललिता को 22 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस संबंध में उनकी पार्टी अन्नाडीएमके ने कहा था कि उनके गंभीर रूप से बीमार होने की खबरें गलत हैं और उनका बुखार और शरीर में पानी की कमी (निर्जलीकरण) का इलाज हो रहा है. अपोलो अस्पताल ने उनके स्वास्थ्य बुलेटिन को नियमित रूप से जारी करते हुए कहा है कि ब्रिटेन के एक विशेषज्ञ और दिल्ली के एम्स अस्पताल के तीन डॉक्टरों की निगरानी में उन पर इलाज का अच्छा असर हो रहा है.
इस घोषणा से विपक्षी डीएमके की अंतरिम मुख्यमंत्री नियुक्त किए जाने की मांग खारिज हो गई है. डीएमके लगातार यह मांग कर रही थी कि राज्य के प्रशासनिक कार्यों विशेष रूप से इस समय पड़ोसी कर्नाटक के साथ ताजा कावेरी विवाद को देखते हुए यह व्यवस्था की जानी चाहिए. उल्लेखनीय है कि कावेरी मामले में सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता की भूमिका में है.
गौरतलब है कि जब जयललिता को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था तो उन्होंने अपनी जगह के लिए पनीरसेल्वम का चुनाव किया था. मामले से बरी होने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी फिर संभाली. उस दौरान अपनी वफादारी दिखाते हुए पनीरसेल्वम ने उनके ऑफिस और राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से इनकार कर दिया था. उस समय पनीरसेल्वम ने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो वह सार्वजनिक रूप से रो पड़े थे.
गौरतलब है कि दो साल पहले जब वह गिरफ्तार हुई थी तब भी उन्होंने पनीरसेल्वम को ही यह जिम्मा सौंपा था. अब पनीरसेल्वम तमिलनाडु में मुख्यमंत्री के आठ विभागों का कामकाज भी देखेंगे.
गवर्नर सी विद्यासागर राव की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि पनीरसेल्वम कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता भी करेंगे. साथ ही यह भी कहा गया कि मुख्यमंत्री की सलाह पर यह व्यवस्था की गई है. डॉक्टरों के मुताबिक जयललिता के फेफड़ों के संक्रमण का इलाज हो रहा है और वह कई दिनों से रेस्परेटरी सपोर्ट पर हैं.
गौरतलब है कि जयललिता को 22 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस संबंध में उनकी पार्टी अन्नाडीएमके ने कहा था कि उनके गंभीर रूप से बीमार होने की खबरें गलत हैं और उनका बुखार और शरीर में पानी की कमी (निर्जलीकरण) का इलाज हो रहा है. अपोलो अस्पताल ने उनके स्वास्थ्य बुलेटिन को नियमित रूप से जारी करते हुए कहा है कि ब्रिटेन के एक विशेषज्ञ और दिल्ली के एम्स अस्पताल के तीन डॉक्टरों की निगरानी में उन पर इलाज का अच्छा असर हो रहा है.
इस घोषणा से विपक्षी डीएमके की अंतरिम मुख्यमंत्री नियुक्त किए जाने की मांग खारिज हो गई है. डीएमके लगातार यह मांग कर रही थी कि राज्य के प्रशासनिक कार्यों विशेष रूप से इस समय पड़ोसी कर्नाटक के साथ ताजा कावेरी विवाद को देखते हुए यह व्यवस्था की जानी चाहिए. उल्लेखनीय है कि कावेरी मामले में सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता की भूमिका में है.
गौरतलब है कि जब जयललिता को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था तो उन्होंने अपनी जगह के लिए पनीरसेल्वम का चुनाव किया था. मामले से बरी होने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी फिर संभाली. उस दौरान अपनी वफादारी दिखाते हुए पनीरसेल्वम ने उनके ऑफिस और राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से इनकार कर दिया था. उस समय पनीरसेल्वम ने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो वह सार्वजनिक रूप से रो पड़े थे.
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