विज्ञापन
This Article is From Nov 26, 2016

खास बातचीत : गोविंदाचार्य बोले - सरकार की नीयत सही हो सकती है लेकिन तरीका बिलकुल गलत

खास बातचीत : गोविंदाचार्य बोले - सरकार की नीयत सही हो सकती है लेकिन तरीका बिलकुल गलत
पूर्व बीजेपी नेता गोविंदाचार्य
नई दिल्ली: जब से नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया है तब से किसी न किसी मसले को लेकर सरकार की आलोचना हुई है. कुछ लोग सरकार के इस फैसला को कालाधन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक मानते हैं तो कुछ प्लानिंग और टाइमिंग को लेकर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में हमारे सहयोगी सुशील महापात्र ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व नेता और पूर्व बीजेपी नेता केएन गोविंदाचार्य से बात की. गोविंदाचार्य ने नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है और पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की है. गोविंदाचार्य ने सरकार के प्लानिंग को लेकर भी कई सवाल उठाए हैं. चलिए जानते हैं इस खास बातचीत में गोविंदाचार्य ने क्या-क्या कहा?

प्रश्न : गोविंदाचार्य जी, हमने सुना है नोटबंदी को लेकर आपने चीफ़ जस्टिस को पत्र लिखा है, क्या बता सकते हैं कि इस पत्र का मसौदा क्या है?
गोविंदाचार्य : मैंने चीफ जस्टिस को बुधवार शाम को पत्र याचिका भेजी है और निवेदन किया है कि मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों को सुप्रीम कोर्ट स्वयं संज्ञान लेकर देशभर के पीड़ित लोगों को मुआवजा देने का आदेश दे. नोटबंदी की वजह से गरीब लोग अपने ही पैसे का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. 80 से ज्यादा लोगों की दुखद मौत हो चुकी और तमाम लोग बेरोजगार हो गए हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन लाचार लोगों की समस्याओं का निवारण अवश्य होना चाहिए. दिहाड़ी मज़दूरों का काम ख़त्म हो रहा है, किसान के पास रबी की बुवाई के लिए बीज नहीं है और छोटे-मोटे कारोबारी भी बंदी की कगार पर हैं.

प्रश्न : प्रधानमंत्री ने जब 8 नवंबर को यह कदम उठाया था तब आपको क्या लगा था? क्या आप इसे सही कदम मानते हैं?
गोविंदाचार्य : हां, मुझे लगा था यह अच्छा कदम है. मुझे लगा कि सरकार के आश्वासन के अनुसार दो दिनों में बैंकों में हालात ठीक हो जाएंगे. इसके बाद जब स्थिति हद से ज्यादा बिगड़ने लगी तब मैंने अपनी राय रखी. अब हाल और बुरा है देश में हालात नोटबंदी से इतने खराब हो जाएंगे, मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी.

प्रश्न : क्या आप बता सकते हैं सरकार की तरफ से कहां से गलती हुई?
गोविंदाचार्य : गलती यह है कि सरकार का लक्ष्य ही साफ़ नहीं है. यह पता नहीं चल पा रहा है कि सरकार क्या चाहती है? अगर जाली नोट बंद करना चाहती है तो उसके लिए इतना बड़ा कदम उठाने कि क्या जरूरत थी? सरकारी आंकड़ों के अनुसार 14 लाख करोड़ के बड़े नोटों में जाली नोट सिर्फ 400 करोड़ हैं. पर उसके लिए सरकार ने पूरी करेंसी को रद्द करके पूरे देश को लाइन में खड़ा कर दिया.
नोटबंदी के बजाय अगर 30 दिसम्बर तक नोट बदलने का समय दिया जाता तो जाली नोट ख़त्म हो जाते. कालाधन तो नगदी का थोड़ा हिस्सा है, जिसे टैक्स नियमों में बदलाव तथा भ्रष्टाचार दूर करके की कम किया जा सकता है. बड़े लोग तो अपना पैसा विदेशों में रखते हैं, जिस पर तो सरकार ने प्रभावी कार्यवाही की ही नहीं वह लोग बच जाएंगे.

प्रश्न : गोविंदाचार्यजी क्या आप को लगता है सरकार ने जल्दी निर्णय ले लिया? कुछ प्लानिंग के साथ सरकार यह कदम उठा सकती थी. आपके अनुसार क्या सुझाव हैं, जिनके पालन से स्थिति इतनी खराब नहीं होती?
गोविंदाचार्य : इतने बड़े काम के लिए बेहतर टीम वर्क की ज़रूरत थी, जिसका इस बड़े निर्णय में अभाव दिखता है, इसीलिये सरकार हर दिन नया आदेश दे रही है. इन सारे आदेशों को रिज़र्व बैंक के माध्यम से ही लागू किया जा सकता था, पर उसकी स्वायत्तता की भी अनदेखी हो रही है. किसी ने इस निर्णय को तुगलकी फरमान भी बताया है. बहुत कष्ट है लोगों को, लोगों की तकलीफ़ को देखते हुए हमने पोस्ट किया और फाइनेंस सेक्रेटरी को लीगल नोटिस दिया.

सरकार अगर 2000 के नोट का साइज़ पुराने 1000 के नोट का रखती तो एटीएम में तकनीकी बदलाव की जरूरत नहीं पड़ती और पुरानी साइज़ की ट्रे से ही काम चल जाता. शादियों के सीजन तथा रबी की फसल के पहले इस निर्णय को कुछ महीने पहले भी लागू किया जा सकता था जिससे आम जनता को इतनी तकलीफ़ नहीं होती.

प्रश्न : आप ने फाइनेंस सेक्रेटरी को नोटिस भेजा है?
गोविंदाचार्य : सरकार द्वारा नोटबंदी और नोटों के इस्तेमाल के बारे में जारी आदेश कानूनन गलत हैं. नोटबंदी के निर्णय से हो रही मौतों के लिए मुआवजा देने की जवाबदेही भी सरकार की है. इस बारे में मैंने फाइनेंस सेक्रेटरी को लीगल नोटिस भेजा पर उसका जवाब ही नहीं आया, जिसके बाद मैंने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के सामने पत्र याचिका भेजी है.

प्रश्न : आप कह रहे हैं कि काला धन के खिलाफ यह लड़ाई होनी चाहिए पर सरकार की प्लानिंग गलत है?
गोविंदाचार्य : हम ने शुरू से ही यही कहा है कि नीयत सही हो सकती है, लेकिन तरीका बिलकुल गलत हैं.

प्रश्न : आप के हिसाब से सरकार को अब क्या करना चाहिए?
गोविंदाचार्य : अभी भी सरकार के पास मौका है. सरकार को अपना अपना लक्ष्य स्पष्ट कर देना चाहिए कि वह क्या चाहती है. अपनी गलती मानने में कोई हर्ज़ नहीं है. गलती मानने से आदमी बड़ा ही होता है छोटा नहीं होता है. सरकार को बढ़िया से दोबारा सही प्लानिंग के साथ लागू करना चाहिए. सरकार को हज़ार का नोट बंद कर देना चाहिए और 500 के नोट चलने देना चाहिए. 100 का नोट ज्यादा मात्रा में छापना चाहिए. 2000 के नोट को बंद कर देना चाहिए. जब सरकार ने जाली नोट और आतंकवाद को सामने रखते हुए बंद नोटबंदी का निर्णय लिया है तो यह दोनों को तो 2000 नोट फायदा पहुंचाएगा. यह समाधान नहीं है. इसीलिए 2000 छापने की ज़रूरत नहीं है.

प्रश्न : आप यह कह रहे हैं कि जितना छोटा नोट हो वह अच्छी बात है?
गोविंदाचार्य : आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार भारत में अधिकतम 250 रुपये का ही नोट होना चाहिए. यह तो तय हुआ था, अनिल बोकिल ने भी कहा है छोटे नोट चालू रहना चाहिए और बड़ी करेंसी बंद होनी चाहिए. आप कैशलेस इकॉनमी कहिये या डिजिटल इकॉनमी यह धीरे-धीरे लागू किया जाता है. हमारे गांव इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं है. देश में ग्रामीण इलाकों में बहुत जगह पर न ही बैंक हैं और न ही इन्टरनेट की सुविधा, फिर कैशलेस इकॉनमी का देशव्यापी विस्तार कैसे होगा?

प्रश्न : सरकार का कहना है कि वे लोग ज्यादा नाराज़ है जिनके के पास काला धन है, क्योंकि सरकार ने उन्हें तैयारी का मौका नहीं दिया?
गोविंदाचार्य : यह तो ज़बरदस्ती की बात हुई. सब कालेधन वाले चिल्ला रहे है ऐसा नहीं है. मेरे पास कौन सा कालाधन है. हम भी कह रहे हैं. प्रधानमंत्री के काम के पीछे की नीयत को हम ख़राब नहीं मानते हैं. इसीलिए उनका भी धर्म है कि किसी की भी नीयत के ऊपर वह संदेह न करें.

प्रश्न : लेकिन सरकार ने एक सर्वे किया था जिसका नतीजा यह आया है कि 90 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग सरकार के इस निर्णय से खुश हैं?
गोविंदाचार्य : यह तो प्रधानमंत्री का ही ऐप है जिससे जो लोग जुड़े हैं वह अधिकांश मोदी जी के समर्थक हैं. अगर इनके 90 प्रतिशत सपोर्टर ने ऐसा कह दिया तो यह कौन सी बड़ी बात है. सरकार ने सिर्फ छोटे सर्वे की रिपोर्ट छाप दी ऐसा लगेगा जैसे रेफरेंडम है. यह जो तरीका होता है सोशल मीडिया का, उससे वास्तविक सत्य की अनदेखी होती है. टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में यह जो अर्द्धसत्य है वह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
नोटबंदी, गोविंदाचार्य, नरेंद्र मोदी सरकार, Note Ban, Cash Ban, Govindacharya, Narendra Modi Government
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com