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This Article is From Feb 14, 2020

CAA पर सहयोगी अकालियों ने दी BJP को सलाह- अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चले मोदी सरकार

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं. दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में करीब दो महीने से इस कानून को वापस लेने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन हो रहा है.

CAA पर सहयोगी अकालियों ने दी BJP को सलाह- अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चले मोदी सरकार
शिरोमणि अकाली दल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था. (फाइल फोटो)
अमृतसर:

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं. दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में करीब दो महीने से इस कानून को वापस लेने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन हो रहा है. विपक्षी दलों का आरोप है कि इस कानून में केंद्र सरकार द्वारा किया गया हालिया संशोधन मुस्लिमों के खिलाफ है. विपक्षी दलों के साथ-साथ अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा है. SAD के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) ने गुरुवार को अमृतसर में एक रैली की. उन्होंने रैली में कहा कि सरकार को धर्म के आधार पर किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए. सरकार को सभी धार्मिक समुदायों के बीच एकता का आह्वान करना चाहिए.

प्रकाश सिंह बादल ने कहा, 'ये गंभीर चिंता का विषय है कि देश में वर्तमान स्थिति इतनी अच्छी नहीं है. सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. यदि कोई सरकार सफल होना चाहती है, तो उसे अल्पसंख्यकों को साथ लेना होगा. इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी होने चाहिए. उन्हें ऐसा महसूस होना चाहिए कि वो सभी एक परिवार का हिस्सा हैं. उन्हें एक-दूसरे को गले लगाना चाहिए और नफरत के बीज नहीं बोने चाहिए.'

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उन्होंने आगे कहा, 'हमारे संविधान में लिखा है कि हमारे देश में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक शासन होगा. धर्मनिरपेक्षता के पवित्र सिद्धांतों से कोई विचलन केवल हमारे देश को कमजोर करेगा. सत्ता में रहने वालों को एकजुट होकर और एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में भारत की रक्षा के लिए अथक प्रयास करना चाहिए.'

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प्रकाश सिंह बादल ने कहा, 'सरकार को सिख गुरुओं से सीख लेनी चाहिए, जिन्होंने भाईचारे और सामाजिकता की वकालत की.' उन्होंने सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह का हवाला देते हुए कहा, 'उन्होंने एक मुस्लिम को विदेश मंत्री नियुक्त किया था. उन्हें वोटों की चिंता नहीं थी. वो धर्मनिरपेक्षता के सही अर्थ को समझते थे, जिसके बारे में हमारा संविधान बात करता है.'

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बताते चलें कि शिरोमणि अकाली दल ने हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने किसी भी प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा था. शुरूआत में SAD नेताओं की नाराजगी की वजह सीट बंटवारे को लेकर मतभेद बताई गई. अकाली नेताओं ने मीडिया के सामने आकर बयान दिया कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) को लेकर पर उनकी असहमति भी इसकी वजह है.

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