एसवाईएल मामले पर सुप्रीम कोर्ट काफी समय से सुनवाई कर रहा है.
नई दिल्ली:
सतलुज यमुना लिंक मामला की सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि केंद्र SYL विवाद का हल निकालने के लिए गंभीर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अप्रैल को दोनों राज्यों के साथ हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई है. अगर केंद्र और दोनों राज्यों से बातचीत का हल नहीं निकलता तो कोर्ट सुनवाई जारी रखेगा. इस मामले की 27 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट का आदेश है जिसका पालन देश के सभी नागरिकों को करना चाहिए. सतलुज यमुना लिंक मामले में हरियाणा सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने साफ किया था कि लिंक नहर का निर्माण करना ही होगा. उसमें कितना पानी आएगा ये बाद में तय किया जाएगा. कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब को कानून व्यवस्था बनाए रखने के आदेश दिए. कोर्ट ने कहा कि सतलुज यमुना लिंक को लेकर यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश बरकरार रहेंगे. राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी दोनों राज्यो पर है पंजाब और हरियाणा दोनों सुनिश्चित करेंगे कि लिंक नहर को लेकर कानून व्यवस्था ना बिगडे कोर्ट ने नाराजगी भी जाहिर की कि देश की सबसे बड़ी अदालत इस मामले मे आदेश जारी कर चुकी है लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा रहा है.
SYL मामले में सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा कि पिछले साल अधिसूचना के बाद किसानों को दी गई जमीनों को वापस लेना संभव नहीं है. पंजाब सरकार ने कहा ये केंद्र की जिम्मेदारी थी किवो दो राज्यो के बीच जल बंटवारे को लेकर मीडिएटर की भूमिका अदा करे लेकिन केंद्र ने ऐसा कभी नहीं किया.
केंद्र सरकार ने कभी भी दोनों राज्यों के बीच चल रही जल बंटवारे की समस्या को खत्म करने की कोशिश नहीं की. केंद्र सरकार की ये जिम्मेदारी थी कि वो वाटर ट्रिब्यूनल का गठन करे लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पंजाब सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 20 फरवरी तक वक्त दिया था.
सुप्रीम कोर्ट सतलुज यमुना लिंक नहर मामले में हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. हरियाणा ने पंजाब सरकार को नहर की जमीन किसानों को वापस देने से रोके जाने की मांग की है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जमीन वापस दिए जाने पर यथास्थिति बरकरार रखते हुए कमेटी से जमीनी हकीकत की रिपोर्ट मांगी थी.
गौरतलब है कि 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब द्वारा पड़ोसी राज्यों के साथ सतजुल यमुना लिंक नहर समझौता निरस्त करने के लिए 2004 में बनाए गए कानून को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए रेफरेंस पर दिए फैसले में कहा था कि वह राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए सभी रेफरेंस पर अपना नकारात्मक जवाब देते हैं. पंजाब सरकार करार रद्द करने के लिए एकतरफा फैसला नहीं ले सकतीसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट 2004 सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, इंटर स्टेट नदी जल विवाद एक्ट और अन्य संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने साफ किया कि पंजाब अन्य राज्यों से किए गए एग्रीमेंट के बारे में एकतरफा फैसला नहीं ले सकता.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट का आदेश है जिसका पालन देश के सभी नागरिकों को करना चाहिए. सतलुज यमुना लिंक मामले में हरियाणा सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने साफ किया था कि लिंक नहर का निर्माण करना ही होगा. उसमें कितना पानी आएगा ये बाद में तय किया जाएगा. कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब को कानून व्यवस्था बनाए रखने के आदेश दिए. कोर्ट ने कहा कि सतलुज यमुना लिंक को लेकर यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश बरकरार रहेंगे. राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी दोनों राज्यो पर है पंजाब और हरियाणा दोनों सुनिश्चित करेंगे कि लिंक नहर को लेकर कानून व्यवस्था ना बिगडे कोर्ट ने नाराजगी भी जाहिर की कि देश की सबसे बड़ी अदालत इस मामले मे आदेश जारी कर चुकी है लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा रहा है.
SYL मामले में सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा कि पिछले साल अधिसूचना के बाद किसानों को दी गई जमीनों को वापस लेना संभव नहीं है. पंजाब सरकार ने कहा ये केंद्र की जिम्मेदारी थी किवो दो राज्यो के बीच जल बंटवारे को लेकर मीडिएटर की भूमिका अदा करे लेकिन केंद्र ने ऐसा कभी नहीं किया.
केंद्र सरकार ने कभी भी दोनों राज्यों के बीच चल रही जल बंटवारे की समस्या को खत्म करने की कोशिश नहीं की. केंद्र सरकार की ये जिम्मेदारी थी कि वो वाटर ट्रिब्यूनल का गठन करे लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पंजाब सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 20 फरवरी तक वक्त दिया था.
सुप्रीम कोर्ट सतलुज यमुना लिंक नहर मामले में हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. हरियाणा ने पंजाब सरकार को नहर की जमीन किसानों को वापस देने से रोके जाने की मांग की है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जमीन वापस दिए जाने पर यथास्थिति बरकरार रखते हुए कमेटी से जमीनी हकीकत की रिपोर्ट मांगी थी.
गौरतलब है कि 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब द्वारा पड़ोसी राज्यों के साथ सतजुल यमुना लिंक नहर समझौता निरस्त करने के लिए 2004 में बनाए गए कानून को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए रेफरेंस पर दिए फैसले में कहा था कि वह राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए सभी रेफरेंस पर अपना नकारात्मक जवाब देते हैं. पंजाब सरकार करार रद्द करने के लिए एकतरफा फैसला नहीं ले सकतीसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट 2004 सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, इंटर स्टेट नदी जल विवाद एक्ट और अन्य संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने साफ किया कि पंजाब अन्य राज्यों से किए गए एग्रीमेंट के बारे में एकतरफा फैसला नहीं ले सकता.
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