!['मरीजों की जेब पर बहुत भारी पड़ रहा है स्वाइन फ्लू' 'मरीजों की जेब पर बहुत भारी पड़ रहा है स्वाइन फ्लू'](https://i.ndtvimg.com/i/2015-08/swine-flu_650x488_61438610014.jpg?downsize=773:435)
स्वाइन फ्लू के मरीजों को आर्थिक रूप से काफी दबाव झेलना पड़ रहा है
नई दिल्ली:
भारत में साल के शुरुआती महीनों में एच1एन1 के प्रकोप का व्यापक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ा है। यही नहीं, मरीजों को इसके इलाज पर भारत में प्रति व्यक्ति मासिक आय का 17 से 62 गुना तक खर्च करना पड़ा है। एक अध्ययन में इस बात की ताकीद की गयी है जो 1 जनवरी से 31 मार्च 2015 तक अस्पताल में भर्ती स्वाइन फ्लू के 209 मरीजों पर किया गया।
अध्ययन में पाया गया कि एच1एन1 के प्रसार की वजह से लोगों के साथ ही बीमा प्रदाताओं को भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ा है। सर गंगा राम अस्पताल द्वारा किये गये अध्ययन में यह कहा गया है कि हाल ही में एच1एन1 के विस्फोट ने ज्यादा जोखिम वाले मरीजों के अलावा स्वस्थ वयस्कों को प्रभावित किया जिसकी वजह से काफी लोगों में इसे लेकर घबराहट पैदा हो रही है।
डाक्टरों के मुताबिक एच1एन1 इन्फ्लूएंजा के आर्थिक प्रभाव पर सही जानकारी देने वाली यह पहली रिपोर्ट है। हालांकि एच1एन1 के कारणपड़ने वाला वित्तीय बोझ वास्तव में इससे बहुत अधिक हो सकता है। इस अध्ययन में अपने काम या स्कूल से अनुपस्थिति रहने वालों और उत्पादन और पर्यटन में कमी पर गौर नहीं किया गया है।
अध्ययन में शामिल किए गए 209 मरीजों में 54.3 प्रतिशत लोगों की आयु 40 साल से अधिक थी और 46 प्रतिशत महिलाएं थीं। इसमें 52.9 प्रतिशत रोगी पहले से ही एक या एक से ज्यादा बीमारियों से जूझ रहे थे। इसके 23 प्रतिशत मरीजों में मधुमेह और 22.5 प्रतिशत में उच्च रक्तचाप पाया गया।
अध्ययन में पाया गया कि एच1एन1 के प्रसार की वजह से लोगों के साथ ही बीमा प्रदाताओं को भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ा है। सर गंगा राम अस्पताल द्वारा किये गये अध्ययन में यह कहा गया है कि हाल ही में एच1एन1 के विस्फोट ने ज्यादा जोखिम वाले मरीजों के अलावा स्वस्थ वयस्कों को प्रभावित किया जिसकी वजह से काफी लोगों में इसे लेकर घबराहट पैदा हो रही है।
डाक्टरों के मुताबिक एच1एन1 इन्फ्लूएंजा के आर्थिक प्रभाव पर सही जानकारी देने वाली यह पहली रिपोर्ट है। हालांकि एच1एन1 के कारणपड़ने वाला वित्तीय बोझ वास्तव में इससे बहुत अधिक हो सकता है। इस अध्ययन में अपने काम या स्कूल से अनुपस्थिति रहने वालों और उत्पादन और पर्यटन में कमी पर गौर नहीं किया गया है।
अध्ययन में शामिल किए गए 209 मरीजों में 54.3 प्रतिशत लोगों की आयु 40 साल से अधिक थी और 46 प्रतिशत महिलाएं थीं। इसमें 52.9 प्रतिशत रोगी पहले से ही एक या एक से ज्यादा बीमारियों से जूझ रहे थे। इसके 23 प्रतिशत मरीजों में मधुमेह और 22.5 प्रतिशत में उच्च रक्तचाप पाया गया।
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