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क्या पार्किंसन पूरी तरह ठीक हो सकता है? पहली बार दिल्ली के अस्पताल में बिना सर्जरी हुआ ट्रीटमेंट

सर गंगाराम अस्पताल को यह गर्व है कि वह उत्तरी भारत का पहला अस्पताल बना है जिसने MRgFUS तकनीक के माध्यम से पार्किंसन से संबंधित कंपन के लिए नॉन-इनवेसिव इलाज शुरू किया और उसमें सफलता प्राप्त की.

क्या पार्किंसन पूरी तरह ठीक हो सकता है? पहली बार दिल्ली के अस्पताल में बिना सर्जरी हुआ ट्रीटमेंट
क्या पार्किंसन बीमारी का इलाज संभव है?

श्रीमती आर., एक सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षिका, कई वर्षों से हाथों में होने वाले गंभीर कंपन से पीड़ित थीं. इस कंपन की वजह से वो अपने नॉर्मल काम जैसे पानी पीना, सैंडविच खाना या अपना नाम लिखना तक भी नहीं कर पा रही थीं. उन्होंने कई विशेषज्ञों से परामर्श लिया और अनेक दवाएं आजमाईं, लेकिन कोई राहत नहीं मिली. जब उन्हें डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (Deep Brain Stimulation) जैसी इनवेसिव सर्जरी—जिसमें मस्तिष्क में पेसमेकर लगाया जाता है—का सुझाव दिया गया, तो वह और भी घबरा गईं. फिर उन्हें एक क्रांतिकारी, नॉन-सर्जिकल विकल्प के बारे में पता चला: MRgFUS (एमआरआई-गाइडेड फोकस्ड अल्ट्रासाउंड) थैलेमोटॉमी.

पहले वे इस इलाज के लिए यूके जाने का विचार कर रही थीं, लेकिन लंबी प्रतीक्षा सूची के कारण उन्हें यह संभव नहीं लगा. फिर उन्होंने जाना कि यह अत्याधुनिक तकनीक अब नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में उपलब्ध है. उन्होंने वहां के न्यूरोलॉजी विभाग के वाइस चेयरमैन डॉ. अंशु रोहतगी से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें इस उन्नत प्रक्रिया के लाभों के बारे में विस्तार से बताया.

श्रीमती आर. ने सर गंगाराम अस्पताल में MRgFUS थैलेमोटॉमी करवाई और उन्हें तुरंत प्रभाव दिखा. प्रक्रिया के दौरान ही उनके दाहिने हाथ का कंपन पूरी तरह से बंद हो गया. अगली सुबह, उन्होंने खुशी-खुशी पानी पिया बिना गिराए, खुद से सैंडविच खाया और एक स्थिर हाथ से अपना नाम लिखा—ये छोटे-छोटे क्षण उनके जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आए.

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MRgFUS treatment क्या है?

MRgFUS एक अत्याधुनिक, नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें MRI की मदद से मस्तिष्क के उस हिस्से को अल्ट्रासाउंड किरणों द्वारा सटीक रूप से निशाना बनाया जाता है, जो कंपन उत्पन्न करता है. यह उपचार एसेंशियल ट्रेमर्स और ट्रेमर-डॉमिनेंट पार्किंसन डिज़ीज़ से पीड़ित मरीजों के लिए विशेष रूप से प्रभावी है. प्रक्रिया के दौरान मस्तिष्क में एक छोटा, नियंत्रित घाव बनाया जाता है जो कंपन पैदा करने वाले असामान्य संकेतों को रोकता है—वह भी बिना किसी चीरे या इम्प्लांट के. इसका अर्थ है कम दुष्प्रभाव और पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कहीं तेज़ रिकवरी.

सर गंगाराम अस्पताल को यह गर्व है कि वह उत्तरी भारत का पहला अस्पताल बना है जिसने MRgFUS तकनीक के माध्यम से पार्किंसन से संबंधित कंपन के लिए नॉन-इनवेसिव इलाज शुरू किया और उसमें सफलता प्राप्त की. इस उपलब्धि से श्रीमती आर. जैसी कई महिलाओं को बिना सर्जरी के नई आशा और जीवन पर नियंत्रण प्राप्त हुआ है.

डॉ. अजय स्वरूप, चेयरमैन, बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट, सर गंगाराम अस्पताल ने कहा, "हमारा अस्पताल हमेशा से मरीजों के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को उपलब्ध कराने की परंपरा में विश्वास रखता है. इसी कड़ी में हम उत्तरी भारत में पहली बार एक नॉन-इनवेसिव उपचार लेकर आए हैं, जो गंभीर मूवमेंट डिसऑर्डर से पीड़ित मरीजों के लिए एक वरदान साबित होगा. यह हमारे ‘पेशेंट फर्स्ट' सिद्धांत की दिशा में एक और मजबूत कदम है.” डॉ. सतनाम छाबड़ा, चेयरमैन, न्यूरोसर्जरी विभाग ने कहा, “यह अत्यंत सटीक प्रक्रिया न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन और न्यूरोरेडियोलॉजिस्ट की टीम द्वारा की गई. चूंकि यह पूरी तरह से नॉन-इनवेसिव है, इसलिए ओपन सर्जरी से जुड़े सभी संभावित जोखिमों से बचा जा सका.”

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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