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This Article is From Jan 18, 2017

सतलज यमुना लिंक मामले पर अदालत का आदेश लागू होना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सतलज यमुना लिंक मामले पर अदालत का आदेश लागू होना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
पंजाब और हरियाणा के बीच रावी-ब्यास नदियों के पानी को साझा करने का समझौता 60 साल पुराना है
नई दिल्ली: नदियों को जोड़ने वाली योजना के तहत सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल ) परियोजना पर कोर्ट में चल रहे मामले पर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को साफ कर दिया कि इस मुद्दे पर हर हाल में कोर्ट का आदेश लागू होना चाहिए. आदेश लागू कैसे होगा, यह देखना सरकारों का काम है.

न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने कहा, 'हम इस न्यायालय द्वारा पारित डिक्री का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं देंगे और इस पर अमल करना ही होगा.' इस डिक्री पर कैसे अमल हो रहा है यह संबंधित पक्षों का सिरदर्द है.

पीठ ने न्यायालय के आदेशों पर अमल के लिए हरियाया की याचिका पर केन्द्र और पंजाब राज्य को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि यथास्थिति बनाए रखने संबंधी अंतरिम आदेश बरकरार रहेगा. इस मामले की अगली सुनवाई 15 फरवरी को की जाएगी. कोर्ट ने इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार से एक हफ्ते में और पंजाब सरकार से 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है.

बता दें कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि जब तक पंजाब का जल समझौता कानून रद्द नहीं होगा, तब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो पाएगा. इस पर पंजाब सरकार ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में मामले की सुनवाई मार्च के तीसरे हफ्ते में की जाए.

सतलज यमुना लिंक नहर मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त रिसिवर केंद्रीय गृह सचिव, पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक ने अपनी-अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी थी. इन तीनों को जमीनी हकीकत का पता लगा रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया था.

केंद्रीय गृह सचिव की ओर दाखिल रिपोर्ट में कहा गया कि एसवाईएल नहर को लेकर स्थिति पहले की तरह है, उसमें कुछ बदलाव नहीं है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि गृह मंत्रालय की टीम ने 7-8 दिसंबर को नहर के दस स्थानों का निरीक्षण किया और पाया कि उनमें किसी तरह का बदलाव नहीं है. इन दस में से आठ स्थानों पर टीम पहले ही निरीक्षण कर चुकी थी जबकि दो नई जगहों का निरीक्षण किया गया. हालांकि कुछ जगहों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि वहां जानबूझ कर या सोच-समझ कर बदलाव नहीं किए गए हैं. पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपी.

 

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